द पब्लिकेट, इंदौर। शहर में सड़क चोड़ीकरण के लिए जो मास्टर प्लान तैयार हुआ है उसमें वार्ड 30 के करीब 29 मकान पूरी तरह से ध्वस्त होंगे। सालभर पहले से मास्टर प्लान के होने वाली सड़क परिवर्तन की सूचना रहवासियों को मिल चुकी थी। जिसके चलते उन्होंने विरोध किया। कलेक्टर, विधायक, महापौर, पार्षद सहित जिम्मेदारों को निवेदन कर मकान बचाने की गुहार लगाई लेकिन मामला ठंडा पड़ गया। अब तीन दिन पहले जब नगर निगम में आकर माइक में बोलकर मकान खलो करने का बोला तो रहवासी परेशान हुए और कल रात करीब 8 बजे से विधानसभा दो के विधायक रमेश मेंदोला के घर के बाहर धरना देकर मकान बचाने की गुहार लगाई। सुबह तक दादा नहीं आए तो पार्षद राजेश राठौड़ ने आकर रहवासियों को आश्वासन दिया। दादा ने कॉल पर बोला में कुछ करता हूँ।
वार्ड 30 मालवीय नगर की गली नंबर 2 में कल रात 29 परिवारों ने रमेश मेंदोला के घर के बाहर पहुंचकर मकान न तोड़ने की गुहार लगाई। रहवासी सोनाली ने बताया हमारे 29 परिवारों का घर मास्टर प्लान में परिवर्तन होने का रही सड़क के बीच आ रहा है। सालभर पहले आदेश आया था तो हमने जनप्रिनिधियों को शिकायत की थी कि हमारा मकान बचाया जाए। पहले बोला गया था कि सिर्फ ओटला जाएगा तो हमने हटा लिया था। अब बोला जा रहा है कि पूरा घर टूटेगा। इसकी जगह हमें पीएम आवास विहार में मकान दिए जा रहे है लेकिन वह करीब 20 किलोमीटर दूर दूधिया में है। हमें इतनी दूर नहीं जाना। हम करीब सालभर से विधायक रमेश मेंदोला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, क्षेत्रीय पार्षद काली बागोर के सामने अपनी आपबीती बता चुके है लेकिन उनकी तरफ से सिर्फ आश्वासन ही मिला।
राजेंद्र राठौर ने समझाया, दादा से बात करवाई
रहवासी कल रात आठ बजे से सुबह तक विधायक रमेश मेंदोला के घर के बाहर बैठे रहे। पहले लोगों में बोला कि दादा सुबह आयेंगे। रात तक बोले कि दो दादा बाहर गए है। तब रहवासियों ने वहीं सड़क पर बिस्तर लगाया लेकिन हटें नहीं। सुबह करीब 7:30 बजे दादा की तरफ से पार्षद राजेंद्र राठौर आए जिन्होंने मकान न जाने का आश्वासन देकर हटने को कहा। लेकिन रहवासी दादा से मिलने की जिद पड़ अड़े रहे। मामला चलता रहा जिसके बाद राजेंद्र राठौर ने दादा रमेश मेंदोला से कॉल पर बात की जिसपर दादा का कहना था कि दो दिन बाद आकर निराकरण करूँगा। राजेंद्र राठौर ने मास्टर प्लान के अधिकारियों को कॉल कर मकान टूटने का मना कर दिया।
काकड़ में मिल जाए मकान
रहवासियों का कहना है कि हमें काकड़ के पीछे सरकारी जमीन पर जगह दे दी जाए ताकि हमारा नुकसान न हो। 40 सालों से करीब 29 परिवार यहीं बसे है ऐसे अचानक घर टूट जाएगा तो हम कहां रहेंगे।

