बजट में विपक्ष शासित राज्यों को नजरअंदाज करने का आरोप, प्रदर्शन जारी
द पब्लिकेट, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट संसद में पेश किया। इस बजट ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि विपक्ष ने इसमें भेदभाव का आरोप लगाया है।
इस बजट को लेकर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। डीएमके सांसद टी शिवा ने इसे “गठबंधन का बजट” करार देते हुए कहा कि तमिलनाडु को इसका उचित हिस्सा नहीं मिला है। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने भी उत्तर प्रदेश को बजट में नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की है, यह आरोप लगाते हुए कि विशेष फंड कुछ खास लोगों को ही मिले हैं।
संसद भवन के बाहर राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने बजट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है और अपने राज्यों के लिए उचित हिस्से की मांग की है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस बजट पर नाराजगी जताई है, उनके अनुसार बजट में कर्नाटक की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए महंगाई की स्थिरता पर जोर दिया और इसे प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “#BudgetForDevelopedIndia” करार देते हुए समावेशी विकास का बजट बताया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कहा कि यह बजट आत्मनिर्भर भारत के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।
नई टैक्स व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जिससे सैलरी क्लास को 17,500 रुपये तक की बचत हो सकेगी। बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए कई प्रमुख परियोजनाएं शामिल की गई हैं। बिहार में एक्सप्रेसवे और पावर प्लांट के विकास की योजना है, जबकि आंध्र प्रदेश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को विकास और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है, जबकि विपक्ष ने इसमें भेदभाव के आरोप लगाए हैं।