केंद्र का दावा: लीक नहीं, गड़बड़ी हुई थी

द पब्लिकेट, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में नीट परीक्षा के पेपर लीक का मामला गरमाया हुआ है। केंद्र सरकार ने अदालत में बताया कि पेपर लीक नहीं हुआ था, बल्कि गड़बड़ी हुई थी। यह गड़बड़ी 5 मई को हुई, जब एक व्यक्ति परीक्षा सेंटर में घुसा और पेपर की फोटो खींचकर बाहर निकल गया।

यह घटना 5 मई की सुबह 8:22 से 9:23 बजे के बीच हुई। पेपर को 24 से 28 अप्रैल के बीच दो प्रेस में छापकर डिस्पैच किया गया था। 3 मई को पेपर बैंक में जमा कराए गए थे और 5 मई को सुबह 8:15 बजे सीटी कोऑर्डिनेटर ने परीक्षा सेंटर में रिसीव किए।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि पेपर लीक नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति परीक्षा सेंटर में घुसा और पेपर की फोटो खींचकर बाहर निकल गया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि यदि पेपर लीक हुआ, तो क्या यह संभव है कि उम्मीदवारों को सुबह 10:15 बजे पेपर रटवाने के लिए दिया गया और 45 मिनट में पेपर सॉल्व भी कर लिया गया हो? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सॉल्वर की टीम ने पेपर सॉल्व किया और उम्मीदवारों को याद करने के लिए केवल दो घंटे मिले।

सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस ने एनटीए से पूछा कि नीट परीक्षा से सरकार ने कितनी कमाई की। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि करीब 400 करोड़ रुपए कमाए गए, जिसमें से 300 करोड़ रुपए परीक्षा पर खर्च किए गए। इस पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाया कि जब 100 करोड़ रुपए की कमाई हुई, तो पेपर प्राइवेट कूरियर कंपनी से क्यों भेजे गए?

NTA ने कोर्ट में बताया कि करेक्शन विंडो दो दिन खोलने पर 15 हजार छात्रों ने इसका इस्तेमाल किया। याचिकाकर्ता ने इसे राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया, जिसमें केवल एक छात्र के लिए विंडो खोलने का आदेश दिया गया था।

इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है और अदालत जल्द ही अपना निर्णय सुनाएगी।

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