शहर में आत्महत्याओं के मामले बड़ रहे है। इसको लेकर द पब्लीकेट की रिपोर्टर अनुश्री कारंकर ने शहर में बढ़ते आत्महत्याओं के विषय पर मनोवैज्ञानिक डॉ. कामना लाड से इसके कारण और लक्षण पर जानकारी ली। जिसमें उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की।

•मस्तिष्क में बायोन्यूरोलॉजिकल परिवर्तन के कारण जीवन अर्थहीन लगता है,जिससे आत्मघात के विचार मन में आते हैं।

•मानसिक और शारीरिक बदलाव के कारण आते है आत्महत्या के विचार।

•लापरवाही से छोटी मेंटल डिजीज भी मेंटल डिसऑर्डर का रूप ले लेती है।

उन्होंने कहा की आत्महत्या का विचार प्राकृतिक नहीं होता है। मस्तिष्क में बायो न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन होने के कारण लोगों को लगने लगता है कि जीवन किसी काम का नहीं है।अर्थात उन्हें अपनी निरर्थकता का अनुभव होने लगता है।इसके बाद व्यक्ति के मन में आत्महत्या का विचार आता है। आत्महत्या की सर्वाधिक घटनाएं मानसिक विकार के कारण होती हैं।

किशोरों में आत्महत्या के कारण के रूप में नशीले पदार्थों का उपयोग और ऑनलाइन गेमिंग भी शामिल है। जब लोग एडिक्शन जैसे कोई गेम, शराब या ड्रग्स का सेवन कर लेते हैं तो वे और अधिक आवेगशील हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे बिना सोचे समझें ही खुदकुशी करने का प्रयास कर सकते हैं।

आमतौर पर लोग मानसिक बीमारी को शर्मनाक मानते हैं। किसी को भी अपनी मेंटल डिजीज के बारे में खुलकर बताते नहीं है जिससे आगे चलकर सही उपचार ना मिल पाने की वजह से यह बीमारी एक गंभीर मेंटल डिसऑर्डर में बदल जाती है, जो अक्सर आत्महत्या का भी कारण बनती है। *डिप्रेशन,बाइपोलर डिसऑर्डर, मनोविदलता (Schizophrenia) आदि मानसिक विकार सुइसाइड के कारण बनते हैं।

हार्मोनल चेंजेस भी एक घटक

सुइसाइड की दरों से स्ट्रेस का स्तर भी जुड़ा हुआ है। आत्महत्या करने वालों के शरीर में असाधारण उच्च गतिविधियां और स्ट्रेस हार्मोन पाया जाता है। सेरोटोनिन एक प्रकार का मस्तिष्क का कैमिकल (न्यूरोट्रांसमीटर) होता है, जो मूड, चिंता और आवेगशीलता से संबंधित होता है। खुदकुशी करने वाले व्यक्ति के सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूड (CSF) और मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर सामान्य से कम पाया जाता है।

जो लोग हमेशा हंसते-मुस्कुराते दिखाई देते हैं या आसानी से लोगों में घुल मिल जाते हैं वो भी मानसिक विकार की चपेट में आने के बाद अचानक से अकेला महसूस करने लगते हैं।

मानसिक विकार से व्यक्ति का व्यवहार बदलने लगता है वह नकारात्मक ढंग से चीज़ों को देखने लगता है, उस पर जीवन को लेकर निराशावादी दृष्टिकोण हावी होने लगता है। अगर आपके आसपास किसी के जीवन में ऐसे बदलाव हो रहे हों तो उन पर ध्यान देना अत्यधिक आवश्यक है।

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