द पब्लिकेट, इंदौर। शहर के शराब ठेकेदारों ने एकजुट होकर उज्जैन के शराब कारोबारी ग्रुप को धार और आसपास के क्षेत्र से बाहर कर दिया है। उज्जैन ग्रुप अब तक मालवा में हावी था, लेकिन इस बार इंदौर के ठेकेदारों की मजबूत रणनीति के आगे उन्हें पीछे हटना पड़ा। इस टकराव में उज्जैन ग्रुप को 50 करोड़ रुपये लेकर खुद को अलग करना पड़ा।
दरअसल, उज्जैन ग्रुप ने इंदौर के एक पुराने शराब ठेकेदार के बेटे के नाम पर धार में सभी ठेके लिए थे और मोनोपॉली बना ली थी। इसके बाद शराब की कीमतें तीन गुना तक बढ़ा दी गई थीं। इस क्षेत्र से हर दिन सौ से ज्यादा ट्रकों में अवैध शराब गुजरात भेजी जा रही थी, और अभी भी यह सिलसिला जारी है।
इस पूरे खेल में इंदौर के रमेश राय, पिंटू भाटिया, सूरज रजक और अलिराजपुर के अल्केश जैसे नाम प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि ये ठेकेदार एक ताकतवर मंत्री के संरक्षण में हैं, और इन्हें राजनीतिक समर्थन भी प्राप्त है। अलिराजपुर में एक दुकान भी अब इंदौर के विधायक के करीबी ठेकेदार को मिल गई है।
हाल ही में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ट्रक से 1385 पेटी महंगी शराब जब्त की, जिसकी कीमत करीब 32 लाख रुपये आंकी गई। पर इस कार्रवाई के बाद मामले को दबाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।
अब हालात ऐसे हैं कि अगर प्रशासन अवैध शराब पर कार्रवाई करता है तो राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ेगा, और अगर कार्रवाई नहीं करता तो तस्करी और बढ़ेगी। आने वाले समय में इंदौर और उज्जैन के शराब माफियाओं के बीच और भी बड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है।