द पब्लिकेट, इंदौर। स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के प्रबंधक ने कुछ दिन पहले ही प्रदर्शन के बाद शनिवार को स्टूडेंट्स से मीटिंग लेने का फैसला किया था, जिसमें प्लेसमेंट और इंटर्नशिप के मुद्दों पर बात होना थी। लेकिन शनिवार आते ही प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों का ढर्रा वैसा का वैसा ही रहा। मीटिंग के लिए जब स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी पहुंचे तो गेट पर जंजीर और ताले एसे लगा रखे थे, जैसे कोई जंग लड़ने आने वाला हो। सोमवार के दिन स्टूडेंट्स ने कॉलेज आकर फैकल्टीज से अपनी हक की मांग की, लेकिन कोई कुछ जवाब नहीं दे पाया। खास बात यह कि कॉलेज का वीसी सुधीर प्रधान स्टूडेंट्स के डर से पहले ही पतली गली पकड़कर भाग निकला। 

आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी की करोड़ों रुपए लगाकर बनाई प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी सिर्फ स्टूडेंट्स के साथ धोखाधड़ी का काम कर रही है। शिक्षा के नाम पर स्टूडेंट्स को लूटा जा रहा है। थोड़े दिन पहले हुए छात्रों के प्रदर्शन के बाद उन्होंने एसडीएम घनश्याम धनगर को यूनिवर्सिटी द्वारा की गई धोखाधड़ी की शिकायत की थी। इसपर शनिवार को यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स से मीटिंग करने का फैसला लिया था। शनिवार जब स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी पहुंचे तो गेट पर सुरक्षाकर्मी थे। गेट पर भी जंजीर बंधी थी। स्टूडेंट्स की एक कमरे में प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के बोर्ड मेम्बर जितेंद्र जैन, वाईस चांसलर सुधीर प्रधान सहित अन्य फैकल्टीज से प्लेसमेंट, इंटर्नशिप और फीस के मुद्दों पर चर्चा हुई तो वह उस समय स्टूडेंट्स को जवाब नहीं दे पाए। इसपर स्टूडेंट्स ने उनका जमकर विरोध किया। स्टूडेंट्स ने रजिस्टार आयुषी काबरा के केबिन में घुसकर अपने हक की मांग की तो आयुषी कैमरे से अपना मुंह छुपाते नजर आई। वहीं, अन्य फैकल्टी भी भीगी बिल्ली बन खड़ी रही। सोमवार के दिन भी यूनिवर्सिटी में ऐसा ही मंजर रहा। स्टूडेंट्स अपनी मांगों को लेकर जब भी प्रबंधक के पास शिकायत लेकर जाते है तो वह उनको रवाना कर देता है। अब तो यह हाल है कि स्टूडेंट्स को देखते ही यूनिवर्सिटी का जिम्मेदार व्यक्ति भागने में लगा रहता है। छात्रों का कहना है की एडमिशन में बोले गए एक भी वादे को पूरा नहीं किया गया है। कॉलेज अब बोल रहा है कि स्टूडेंट्स को बॉम्बे हॉस्पिटल वाली प्रेस्टीज की ब्रांच में प्लेसमेंट के किए भेज दो, लेकिन यह तो सरासर गलत है। बॉम्बे हॉस्पिटल वाली ब्रांच की फीस तकरीबन चार लाख के आस-पास है। यूनिवर्सिटी की 11 लाख है। अगर वहीं सर प्लेसमेंट लेना होता तो हम लोन लेकर लाखों रुपए बर्बाद क्यों करते। 

यह है पूरा मामला…

 यूनिवर्सिटी में आखरी सेमेस्टर आते ही जब स्टूडेंट्स ने प्रबंधक से इंटर्नशिप और प्लेसमेंट की मांग की तब उसने टरका दिया। चार से पांच महीने बीत जाने के बाद जब स्टूडेंट्स ने प्रबंधक से सवाल किया तो वह मुकर गए। स्टूडेंट्स को पुलिस की धमकी देने लगे। इससे गुस्साए छात्रों ने प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि एडमिशन से समय हमसे 11 लाख फीस ली गई। कहा गया था कि 8 से 10 लाख का प्लेसमेंट लगेगा, 30 से 50 हजार तक की इंटर्नशिप मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। छात्रों की फीस लेकर प्रबंधक और मालिक ने सिर्फ अपनी जेबें गर्म की है। 

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