द पब्लिकेट। देवास भोजशाला मामले मे जैन समाज द्वारा लगाई गई याचिका पर 4 जुलाई को सुनवाई होने वाली थी। विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद्र जैन ने ऐड्वोकेट पीके शुक्ल और आशुतोष शुक्ला के द्वारा इंदौर हाई कोर्ट मे याचिका दायर की थी, जिसे हाई कोर्ट मे स्वीकार कर लिया गया था। कोर्ट ने ASI को 29 अप्रैल को सर्वे रिपोर्ट सोपने को कहा था, लेकिन बाद मे कोर्ट ने समय बड़ाकर 2 जुलाई कर दिया था। 2 जुलाई को ASI ने हाई कोर्ट मे आवेदन देकर 4 हफ्तों का समय मांगा था।
हिन्दू और मुस्लिम के बाद अब जैन समाज ने जमाया अपना अधिकार
जैन समाज का दावा है की भोजशाला मे हो रहे ASI सर्वे मे जो मूर्तिया मिली है वह वाग्देवी या सरस्वती देवी की नहीं बल्कि जैन समाज की अंबिका देवी की है। विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद्र जैन ने दावा किया है की भोजशाला के सर्वे मे जैन गुरुकुल के प्रमाण भी पाए गए, जिसके बाद जैन समाज ने सर्वे मे उनके भी दो प्रतिनिधि शामिल करने को कहा है।
क्यों ASI ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा ?
भोजशाला मामले की सुनवाई मे कोर्ट ने ASI को 15 जुलाई को सर्वे रिपोर्ट सोपने के आदेश दिए है। 22 जुलाई को इंदौर हाई कोर्ट मे मामले की अगली सुनवाई होगी। बता दे ASI ने हाई कोर्ट मे 2 जुलाई को आवेदन देकर सर्वे रिपोर्ट सोपने के लिए 4 हफ्तों का समय मांग था,जिसके लिए हाई कोर्ट ने ASI को 15 जुलाई तक सर्वे रिपोर्ट किसी भी हालत मे सोपने के आदेश दिए है। साथ ही कोर्ट ने ASI को यह भी कहा है की रिपोर्ट की कॉपी सभी पक्षों(हिन्दू, मुस्लिम और जैन) को दी जाए।
ASI के द्वारा सर्वे पूरा हो चुका है, उन्होंने सर्वे मे निकले अवशेषों की रिपोर्ट बनाने के लिए कोर्ट से समय मांगा है। कोर्ट मे मौजूद हिन्दू पक्ष के लोगों ने बताया की सर्वे मे मिलने वाले अवशेषों मे सरस्वती देवी की मूर्ति मिली है जिससे ये अनुमान लगाया जा रहा है की भोजशाला हिन्दू पक्ष की है।
15 जुलाई को ASI की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले पर फैसला लिया जा सकता है।