द पब्लिकेट, भोपाल। भोपाल के बगरौदा गांव के प्लॉट नंबर एफ-63 में चल रही एक ड्रग्स फैक्ट्री का भंडाफोड़ तब हुआ जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने अचानक छापा मारा। स्थानीय कटारा हिल्स पुलिस ने फैक्ट्री के बाहर सुरक्षा घेरा बनाया हुआ था। यह कार्रवाई शनिवार दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुई और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, एटीएस अधिकारियों के लिए मामला और भी चौंकाने वाला साबित हुआ। फैक्ट्री में मिले केमिकल्स का वजन करने पर पाया गया कि करीब 907 किलो ड्रग्स मौजूद थीं। यह पूरी कार्रवाई रात नौ बजे तक चली।

जब्त की गई ड्रग्स की अनुमानित कीमत लगभग 1814.18 करोड़ रुपए बताई जा रही है। फैक्ट्री में छापेमारी के समय अमित प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी, जो सुल्तानाबाद भोपाल के निवासी हैं, और सान्याल बाने, जो नासिक महाराष्ट्र से हैं, मौके पर मौजूद थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, फैक्ट्री में काम कर रहे दो मजदूरों को, जो इस बात से अनजान थे कि वे ड्रग्स बना रहे हैं, पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। इसके अलावा, इस मामले में तीसरे आरोपी हरीश आंजना (32) को भी हिरासत में लिया गया है। आरोपी ड्रग्स खरीदने के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करते थे।
ऐसे मिलें सान्याल और चतुर्वेदी

आरोपी अमित प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी, जो एक साइंस ग्रेजुएट है, पहले एक प्राइवेट नौकरी में था और फिर दो बार अलग-अलग व्यवसाय शुरू किए, लेकिन असफल रहा। पूछताछ के दौरान उसने दावा किया कि उसे नहीं पता था कि उसकी फैक्ट्री में तैयार केमिकल ड्रग्स बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा था। सख्त पूछताछ के बाद उसने खुलासा किया कि उसकी सान्याल बाने से मुलाकात मुंबई में एक दोस्त के माध्यम से हुई थी। सान्याल को पांच साल पहले एनडीपीएस एक्ट के तहत सजा हुई थी, जिसे उसने ऑर्थर रोड जेल में काटा था।
जेल मे तैयार किया तस्करों से संपर्क

सान्याल ने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में सजा काटते समय विभिन्न राज्यों के ड्रग्स तस्करों से संपर्क बनाया। इसी दौरान उसकी मुलाकात दिल्ली के कुख्यात तस्कर तुषार गोयल से हुई, जिसके पंजाब, हरियाणा, नेपाल और गुजरात में कई ठिकाने थे। तुषार के जरिए सान्याल को एमडी ड्रग्स की तस्करी का तरीका मिला। इससे पहले, सान्याल मुख्य रूप से कोकिन और चरस जैसे मादक पदार्थों का व्यापार करता था, लेकिन जेल में मिलने वाले नेटवर्क ने उसकी तस्करी के काम को और बड़ा बना दिया।

हाई प्रोफाइल लाइफस्टाइल का लालच देकर शुरू करवाई फैक्ट्री

जेल में रहते हुए सान्याल ने अमित प्रकाशचंद्र को अपने नेटवर्क में शामिल किया। अमित की हाई प्रोफाइल लाइफस्टाइल की चाह का फायदा उठाते हुए सान्याल ने अपने साथी हरीश आंजना को उससे मिलवाया। हरीश और सान्याल पहले से ऑर्थर रोड जेल में साथ थे। हरीश ने अमित को जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाया और सान्याल के निर्देश पर उसे भोपाल के बाहरी इलाके में फैक्ट्री के लिए जगह ढूंढने को कहा। इसके बाद अमित ने बगरौदा में जयदीप सिंह से किराए पर फैक्ट्री ली, जो पहले ए.के. सिंह के नाम पर थी।
फर्नीचर की फैक्ट्री बताकर जगह किराए से ली
आरोपियों ने फैक्ट्री को फर्नीचर और लकड़ी की पॉलिश बनाने के बहाने किराए पर लिया था। सान्याल ने फैक्ट्री शुरू करने के लिए आवश्यक एडवांस और अन्य खर्चों की पूर्ति की, और हवाला के जरिए आई रकम हरीश के जरिए प्रकाश तक पहुंचाई। जब ड्रग्स का उत्पादन शुरू हुआ, तो हरीश उसे मंदसौर के रास्ते ग्राहकों तक पहुंचाता था और हर खेप से 10% हिस्सा कमाता था। सान्याल जेल से छूटने के बाद प्रकाश के साथ फैक्ट्री चलाने लगा और भोपाल के होटलों में रुकता था।

पिछले छह महीने से सान्याल पर एटीएस की नजर
गुजरात एटीएस ने सान्याल बाने पर पिछले छह महीने से नजर रखी हुई थी, जो 2022 में एक एमडी ड्रग्स केस में जमानत पर छूटा था। उसकी गतिविधियां भोपाल, इंदौर और उज्जैन में देखी गईं, खासकर भोपाल के इंडस्ट्रियल इलाके में। वहां एक फैक्ट्री का वेंटिलेशन ग्राउंड लेवल पर होने से शक बढ़ा, क्योंकि आमतौर पर ऐसी व्यवस्था केमिकल फैक्ट्रियों में होती है। अहमदाबाद एटीएस ऑफिस से सर्विलांस के जरिए जांच तेज की गई, और एक 17 सदस्यीय टीम एक महीने तक भोपाल में रहकर जांच करती रही, जिससे यह बड़ी ड्रग्स फैक्ट्री पकड़ी गई।
क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया

आरोपी एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी नेटवर्क से जुड़े हैं, जिसमें तुषार गोयल भी शामिल है, जो दिल्ली में पकड़ी गई कोकीन फैक्ट्री का संचालन करता था। गुजरात एटीएस और एनसीबी पहले ही तुषार, जितेंद्र पाल सिंह उर्फ जस्सी, हिमांशु कुमार, औरंगजेब सिद्दीकी और भरत कुमार जैन को गिरफ्तार कर चुकी हैं। इनसे हुई पूछताछ में सान्याल की भोपाल में चल रही ड्रग्स फैक्ट्री की जानकारी मिली। सभी आरोपी विदेशों में ड्रग्स की तस्करी में दक्ष हैं और लेन-देन के लिए क्रिप्टो करेंसी का उपयोग करते थे।
“भोपाल के अमित चतुर्वेदी और नासिक के सान्याल बाने बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री के माध्यम से मेफेड्रोन (एमडी) का अवैध उत्पादन और बिक्री कर रहे थे। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद गुजरात एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया और कार्रवाई की गई।”- एसएल चौधरी, डीएसपी, गुजरात एटीएस

प्रतिदिन का उत्पादन करीब 30 किलो
गुजरात एटीएस को कुछ ड्रग्स डीलर्स से फैक्ट्री की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने डेढ़ महीने तक निगरानी रखी। जानकारी पक्की होने पर एटीएस ने दिल्ली एनसीबी से संपर्क किया और मिलकर कार्रवाई की। फैक्ट्री से 907.09 किलोग्राम मेफेड्रोन (ठोस और तरल) बरामद किया गया। बताया जा रहा है कि अत्याधुनिक मशीनों के चलते आरोपी पिछले छह महीने से रोजाना 25 से 30 किलो ड्रग्स का उत्पादन कर रहे थे। फैक्ट्री का किराया जयदीप सिंह के नाम पर लिया गया था।
5 अक्टूबर को किया माल जब्त
5 अक्टूबर को की गई छापेमारी में मादक दवा मेफेड्रोन (एमडी) बनाने का काम सामने आया। पुलिस ने फैक्ट्री से लगभग 5 हजार किलोग्राम कच्चा माल और कई उपकरण जैसे ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क और हीटर जब्त किए हैं।
आरोपियों को लिया रिमांड पर व न्यायालय मे किया पेश

गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को गुजरात एटीएस ने ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए रविवार शाम भोपाल न्यायालय में पेश किया। पुलिस ने उन्हें उसी दिन गुजरात भेज दिया, जहां आरोपियों की 8 दिन की रिमांड मिली है।
तीसरा आरोपी हरीश आंजना भी गिरफ्तार
ड्रग्स केस में तीसरे आरोपी हरीश आंजना (32) को भी गिरफ्तार किया गया है। वह मंदसौर जिले का कुख्यात तस्कर है और पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत कई मामलों का सामना कर चुका है। पूछताछ में हरीश ने बताया कि वह एमडी बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल गुजरात और महाराष्ट्र में सप्लाई करता था।
फैक्ट्री मालिको के खिलाफ भी केस दर्ज
गुजरात एटीएस द्वारा भोपाल में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का पर्दाफाश करने के बाद फैक्ट्री के मालिक एसके सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यह औद्योगिक प्लॉट 2017-18 में उद्योग विभाग द्वारा अलॉट किया गया था और 2022 में तैयार हुआ था। मेसर्स वास्तुकार प्रोप्राइटर के नाम से रजिस्टर्ड इस प्लॉट को दो साल बाद भेल के रिटायर्ड कर्मचारी एसके सिंह को बेच दिया गया, जिन्होंने इसे छह महीने पहले अमित चतुर्वेदी को किराए पर दिया था। प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ है।

एमडी ड्रग्स की कीमत
एमडी ड्रग्स की कुल कीमत 1814 करोड़ रुपए इस प्रकार है:

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 किलो एमडी की कीमत 5 करोड़ रुपए है।
  • भोपाल फैक्ट्री से 60 किलो हार्ड फॉर्म में ड्रग्स बरामद हुआ, जिसकी कीमत 300 करोड़ रुपए है।
  • 840 लीटर लिक्विड मेफेड्रोन की कीमत 1260 करोड़ रुपए आंकी गई है।
  • एसीट्रोन, सॉल्वेंट और ब्रोमीन जैसे रॉ मटेरियल के 4000 लीटर की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपए है।

इस तरह, कुल मिलाकर ड्रग्स की कीमत 1814 करोड़ रुपए है।

क्या होता है एमडी ड्रग व मानव शरीर पर इसके क्या प्रभाव,जानें:
MDMA (जिसे आमतौर पर “एमडी” या “एक्स्टेसी” कहा जाता है) एक सिंथेटिक ड्रग है जो मानसिक और भावनात्मक उत्तेजना का कारण बनती है। इसका प्रभाव एक स्टिम्यूलेंट और हलुसिनोजेन के मिश्रण जैसा होता है, जिससे व्यक्ति को अत्यधिक ऊर्जा और आनंद की अनुभूति होती है।

मानव शरीर पर असर:

  • शारीरिक प्रभाव: दिल की धड़कन तेज होना, पसीना, मांसपेशियों में खिंचाव, दांत पीसना।
  • मानसिक प्रभाव: आनंद, संवेदनशीलता में वृद्धि, चिंता, भ्रम और कभी-कभी डिप्रेशन।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: मस्तिष्क में सेरोटोनिन की कमी, जिससे याददाश्त और नींद पर असर पड़ सकता है।

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