पिट्टू भारत का सबसे पुराना और पारंपरिक खेल

द पब्लिकेट, मध्यप्रदेश। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में सितोलिया खेल को शामिल करने की पहल की गई है। यह खेल स्कूलों में पहले से ही प्रचलित था, और अब इसे कॉलेजों में भी अपनाया जाएगा। इस पहल से छात्रों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलेगा और उनकी शिक्षा में विविधता भी आएगी।

पिट्टू भारत के सबसे पुराने और पारंपरिक खेलों में से एक है। यह प्राचीन और पारंपरिक खेल पिछले 5 सहस्राब्दी से खेला जा रहा है। जिसे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर इसे लगोर काहा जाता है, जो सितोलिया नाम से लोकप्रिय हैं। भगवान श्री कृष्ण भी अपने दोस्तों के साथ यह खेल खेला करते थे जिसका उल्लेख 5000 साल पहले लिखे गए हिंदू धार्मिक ग्रंथ भागवत पुराण में मिलता है ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में भारत के सबसे लोकप्रिय प्राचीन एवं पारंपरिक खेल पिट्टू को विलुप्त होने से बचाने और इसे पुनः लोकप्रिय बनाने की बात कही थी। मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में भारतीय पिट्टू महासंघ का गठन किया गया। महासंघ का मुख्य उद्देश्य समान नियमों के साथ ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पिट्टू खेल की प्रतियोगिताएं आयोजित कर पिट्टू खेल को पुनः लोकप्रिय बनाना तथा पिट्टू खेल के खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को समान अवसर एवं सम्मान प्रदान करना है।

पिट्टू खेल के लिए नियम
पिट्टू 26 मीटर लंबे और 14 मीटर चौड़े मैदान में खेला जाता है ,जिसमें तीन जोन होते है। टीम में 10 खिलाड़ी होते हैं ,जिसमें से 6 खिलाड़ी खेलते हैं और 4 खिलाड़ी सब्सटीट्यूट होते हैं। पिट्टू मजबूत प्लास्टिक से बना होता है और सभी 7 मोहरों का एक विशिष्ट आकार और रंग होता है।खेल दो टीमों के बीच 10-10 मिनट के दो हाफ में खेला जाता है ।स्ट्राइकर टीम जो सात निश्चित मोहरों से बने पिट्टू सेट को गिराकर उसी क्रम में पुनः जमा करके अंक अर्जित करती है और पिट्टू सेट को पुनः जमा होने से रोकने वाली टीम डिफेंडर टीम निर्धारित समय में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाली टीम विजेता घोषित की जाती है।

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