द पब्लिकेट, उज्जैन। सावन के पहले सोमवार को उज्जैन में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली, जिसने हजारों भक्तों के मन को मोह लिया। शहर की सड़कों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा, जो अपने प्रिय देवता की एक झलक पाने के लिए बेताब थे।

सवारी शाम 4 बजे शुरू हुई और करीब तीन घंटे तक चली। पांच किलोमीटर के इस सफर में भक्ति का ऐसा रंग छाया कि हर कोई भावविभोर हो गया। चांदी की पालकी में विराजमान महाकाल के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आए थेl इस बार की सवारी में कुछ नए बदलाव भी देखने को मिले। पहली बार दो एलईडी रथ शामिल किए गए, जिनसे सवारी का लाइव प्रसारण होता रहा। साथ ही, जनजातीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। धार के भील समुदाय के कलाकारों ने भगोरिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे। पांच ड्रोन और 60 से ज्यादा कैमरों से पूरे मार्ग पर नजर रखी गई। महाकाल मंदिर और गोपाल मंदिर में विशेष कंट्रोल रूम बनाए गए थे। शाम को सवारी शिप्रा नदी के रामघाट पर पहुंची, जहां पुजारियों ने भगवान का जलाभिषेक किया। इसके बाद सवारी विभिन्न मार्गों से होते हुए रात 7:15 बजे वापस मंदिर पहुंची। यह सावन का पहला सोमवार था, और आने वाले हफ्तों में ऐसी ही भव्य सवारियां निकलेंगी। उज्जैन के लोगों के लिए यह एक उत्सव की तरह है, जो हर साल बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

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