द पब्लिकेट। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की सक्रिय कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने अपमान के मामले में 5 महीने की जेल की सजा सुनाई है और उन्हें 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला उस समय का है जब वीके सक्सेना, जो अब दिल्ली के उपराज्यपाल हैं, गैर-लाभकारी संगठन नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के तत्कालीन अध्यक्ष थे।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को दोषी पाया और कहा कि उन्होंने सक्सेना के प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से गलत आरोप लगाए थे। हालांकि, अदालत ने पाटकर को अपील करने के लिए 1 अगस्त तक सजा के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है।
पाटकर ने अदालत से प्रोबेशन पर रिहा किए जाने का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने कहा कि “तथ्यों, नुकसान, आयु और बीमारी को देखते हुए, मैं अत्यधिक सजा देने के लिए प्रेरित नहीं हूं।”
पाटकर ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सच को कभी हरा नहीं सकते। हमने किसी का भी अपमान नहीं किया, हम केवल अपना काम करते हैं। हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे।”