द पब्लिकेट, जबलपुर। जबलपुर कलेक्टर (दीपक सक्सेना) ने शिक्षा के मंदिर में हो रही किताबों की काला बाजारी का परदा फाश किया है। उन्होंने अपनी जांच से किताब माफिया और स्कूल विभाग के बीच होने वाली सांठ- गांठ का मामला सामने लाया है। निजी स्कूलों द्वारा पैसे ऐंठने के तरीके में अब एक और नया मामला सामने आया है,जिसमें निजी स्कूल हर वर्ष किताबों को बदलते हैं और प्रकाशन से कमीशन वसूलते है। इस कारण पेरेंट्स पर आर्थिक रूप से ज्यादा भर पढ़ता है। यहां तक कि छोटी कक्षाओं के लिए भी ₹ 5000 या उससे अधिक दाम की सिलेबस की किताबें लगाई जाती है।इस जांच के दौरान आईएसबीएन नंबर को भी जांचा गया।

 

क्या है आईएसबीएन नंबर ?

इसमें प्रकाशक का नाम, कीमत और जानकारियां दी जाती हैं। जांच किए जाने पर पता लगा की ये फर्जी नंबर थे। अधिकतर निजी स्कूल वाले किसी बिना किसी शिक्षा एक्सपर्ट के राय के बगैर कोर्स बदल देते है। इसी दौरान 20 स्कूल संचालकों को गिरफ्तार किया गया है और साथ में 2 स्कूल संचालकों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है । इंदौर के 90 प्रतिशत नाम- चीन निजी स्कूलों में भी ये ही किया जाता है।

 

कैसे करते हैं निजी स्कूल मनमानी?

कलेक्टर सक्सेना ने बताया कि स्कूल बैग का वजन बढ़ाने के लिए अनावश्यक नई किताबों को सिलेबस में शामिल करने, निम्न स्तरीय सस्ती फर्जी और डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से कमीशनखोरी, फीस की अनुचित वृद्धि, किताबें, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म विक्रेता विशेष से मनमाने दामों पर खरीद करवाने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाला जा रहा है। और इसी संदर्भ में,जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश में सभी जिलों के लिए एक गाइडलाइन बनाने के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग को दिए गए हैं जिसमें किताबों के आईएसबीएन नंबर की व्यवस्थित जांच,कमीशनखोरी,स्कूल फीस जबरन बढ़ाने पर एक्शन जैसे प्रावधान बनाए है।

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