नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के उग्र रूप, माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि का स्वरूप भले ही भयानक लगता हो, लेकिन वे अपने भक्तों पर बहुत दयालु होती हैं।

माँ कालरात्रि की कथा:

माँ कालरात्रि का प्रकट होना असुरों के अत्याचारों के कारण हुआ था। देवताओं ने माँ दुर्गा से रक्षा की प्रार्थना की और माँ दुर्गा ने अपने उग्र रूप में असुरों का संहार किया। इसी उग्र रूप को माँ कालरात्रि कहा जाता है।

माँ कालरात्रि का स्वरूप:

माँ कालरात्रि का वर्ण काला होता है, उनके चार हाथ होते हैं और वे गधे पर सवार होती हैं। उनके हाथों में खड्ग, त्रिशूल, डमरू और वरमुद्रा होती है।

पूजा विधि और मंत्र:

मंत्र : “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः।”

पूजा विधि : मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को स्नान कराकर शुद्ध करें। उन्हें लाल पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। मंत्र का जाप करें और आरती उतारें।

शुभ रंग : माँ कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है। इसलिए इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

माँ कालरात्रि से मिलने वाली शिक्षाएँ:

• अंधकार पर प्रकाश की जीत: मां कालरात्रि का काला वर्ण अंधकार का प्रतीक है और प्रकाश बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

शक्ति : मां कालरात्रि शक्ति की देवी हैं। वे हमें यह सिखाती हैं कि हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहिए।

  बुराई पर विजय : मां कालरात्रि ने असुरों का संहार करके हमें यह सिखाया कि हमें बुराई से लड़ना चाहिए।

नोट: माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस और बुराई से मुक्ति मिलती है।

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