द पब्लिकेट, नई दिल्ली। चुनाव आयोग (ईसी) ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की सत्यापन प्रक्रिया के तहत मॉक पोल आयोजित करने की योजना बनाई है। यह कदम ईवीएम की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
कैसे आयोजित किए जाएंगे मॉक पोल?
चयनित मशीनों पर उम्मीदवारों को 1,400 वोट तक डालने की अनुमति दी जाएगी। इस मॉक पोल के दौरान, उम्मीदवार स्वयं वोट डाल सकते हैं या प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते हैं। उम्मीदवार ईवीएम के तीन भागों – कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यूनिट (वीवीपीएटी) – को किसी भी क्रम में व्यवस्थित कर सकते हैं। प्रक्रिया में वीवीपीएटी पर्चियों का ईवीएम गणना से मिलान भी शामिल होगा।
ईवीएम के भागों का कार्य
- कंट्रोल यूनिट: ईवीएम के संचालन को नियंत्रित करती है।
- बैलेट यूनिट: पार्टी और उम्मीदवारों के नाम प्रदर्शित करती है।
- वीवीपीएटी: मतदाता सत्यापन के लिए उम्मीदवार के प्रतीक के साथ एक पर्ची प्रिंट करती है और इसे एक सील किए गए डिब्बे में डालती है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
26 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपीएटी पर्चियों के 100 प्रतिशत सत्यापन की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने पर जोर दिया। अदालत ने चुनाव आयोग को परिणामों के बाद 45 दिनों तक सिंबल लोडिंग यूनिट्स (एसएलयू) को संग्रहीत करने का निर्देश दिया था ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका परीक्षण किया जा सके।
हाल ही में, केरल में मॉक पोल के दौरान बीजेपी के लिए अतिरिक्त वोट रिकॉर्ड होने के आरोप लगाए गए थे। इन दावों को सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था। चुनाव आयोग ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई।
आगे की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने प्रशासनिक प्रक्रियाएँ जारी की हैं, जिसमें उम्मीदवारों को परिणामों के सात दिनों के भीतर ईवीएम सत्यापन के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया गया है। उम्मीदवारों को प्रत्येक ईवीएम के लिए 40,000 रुपये जमा करने होंगे।
इन उपायों के माध्यम से, चुनाव आयोग का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाना और भविष्य के चुनावों में ईवीएम की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है।