द पब्लिकेट, इंदौर। लाइफ केयर हॉस्पिटल के सामने देर रात करीब 2 बजे भीषण सड़क हो गया। तेज रफ्तार से आ रही स्कॉर्पियो ने बाइक से जा रहे तीन युवकों को इस कदर टक्कर मारी की वह घिसते हुए दूर फिकाए। हादसे में दो युवकों की दर्दनाक मौत हुई तो वहीं, एक युवक गंभीर रूप से घायल है जिसे अस्पताल के डॉक्टर इलाज करने के लिए अंदर लेकर पहुंचे। घटना की जानकारी लगते ही लसूड़िया पुलिस मौके पर आ गई थी जिन्होंने अस्पताल के गलत व्यवहार के लिए फटकार लगाते हुए दोनों मृतकों को अस्पताल में दाखिल करने का बोला लेकिन तब तक दोनों ने दम तोड़ दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि हादसे के बाद स्कॉर्पियो सवार चालक सहित चार युवक कार से उतरकर भागे। कार नक्षत्र चौराहे से तकरीबन 100 की रफ्तार से आ रही थी। तभी पेट्रोल पम्प के सामने बने डिवाइडर के कट से बाइक सवार तीन युवक निकले जिनको घिसते हुए कार आगे बड़ी और एलसीएच अस्पताल के सामने रुक गई।
द पब्लिकेट की टीम सूचना मिलते ही मौके पर पहुंच गई थी।मौके पर एक नई नवेली स्कॉर्पियो कार थी जो काल के रूप आई। कार के बोनट पर टंगी माला भी नहीं उतरी थी। हादसे में कार के आगे का बोनट क्षतिग्रस्त हो गया था और नीचे बाइक (MP 09 QZ 0714) फंसी हुई थी। आस-पास खून फैला पड़ा था जिसके दो कदम आगे लाइफ केयर हॉस्पिटल के सामने रखे गमले पर मृतक कृष्ण पाल सिंह तंवर का तो वहीं, पास में मृतक आयुष राठौड़ निवासी मूँदी का शव पड़ा था। सैकड़ों राहगीर अस्पताल के समने खड़े होकर अस्पताल की लापरवाही की बात कह रहे थे। करीब आधे घंटे तक दोनों युवकों का शव अस्पताल के ठीक सामने पड़ा रहा लेकिन जब तक पुलिस नहीं आई डॉक्टरों ने शव अंदर नहीं लिए। घटना की सूचना के करीब घंटेभर बाद गश्त टीआई केके शर्मा मौके पर आ गए थे। थोड़ी देर बाद एडीसीपी आलोक शर्मा और एसीपी हिमानी मिश्रा भी पहुंच गई थी।
प्रेस्टीज कॉलेज के थे, एक के पिता पार्षद
परिजनों ने बताया दुर्घटना में जान गंवाने वाला आयुष राठौड़ (20) मूल रूप से मूँदी जिले का रहने वाला था। पिता मूँदी में पार्षद है। प्रेस्टीज कॉलेज में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था। दूसरा मृतक कृष्णपाल सिंह तंवर (20) मूल रूप से छगांव (खंडवा जिले) का था। प्रेस्टीज कॉलेज में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था। वहीं, घायल श्रेयांश राठौड़ भी मूँदी का रहने वाला है। यह भी प्रेस्टीज कॉलेज में लॉ के फर्स्ट ईयर में था। श्रेयांश का भाई था आयुष।



पुलिस की फटकार लगी तो दाखिल किए दोनों शव
बेशर्म अस्पताल की लापरवाही तब सामने आई जब उन्होंने पुलिस के आने के बाद दोनों के शव को अंदर लिया। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि जब तक पुलिस नहीं आएगी शव अंदर नहीं लेंगे। थोड़ी देर बाद जब मृतकों के परिजन आए और विरोध कर हंगामा किया तब जाकर उनको अंदर लिया। बेशर्मी तो इसमें भी दिखी कि शव को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं ला रहे थे। लोगों के विरोध किया तब जाकर सब हुआ।
परिजनों ने अस्पताल की लापरवाही का किया विरोध
अधिकारियों के सामने मृतकों के परिजन जमकर फूट पड़े। उन्होंने अस्पताल की लापरवाही का विरोध किया और कार्रवाई करने की बात बोली। घटना को संज्ञान में लेते हुए अधिकारियों ने भी अस्पताल की लापरवाही की घोर निंदा की।
अस्पताल की मानवता गई तेल लेने…
अस्पताल के ठीक सामने हादसा होने के बाद भी खुद को लाइफ केयर कहने वाले अस्पताल की मानवता तब खत्म हो गई जब सड़क पर तीन युवक गंभीर अवस्था में घायल पड़े थे और अस्पताल के डॉक्टर सिर्फ एक युवक का इलाज करने अंदर लेकर गए वहीं दो युवकों को इलाज करवाने के लिए इसलिए मना किया क्योंकि उनकी मौत हो चुकी थी। हादसे के बाद सैकड़ों राहगीर स्पॉट पर थे जिन्होंने अस्पताल से दो युवकों का इलाज करने की गुहार लगाई लेकिन मानवता खत्म होने के कारण डॉक्टरों ने उनको अंदर तक नहीं लिया। वह तो भला हो पुलिस का जिन्होंने मौके पर आकर डॉक्टर को फटकार लगाई जिसके बाद जैसे-तैसे दोनों युवकों को इलाज के लिए दाखिला दिया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

