द पब्लिकेट, इंदौर। शहर में अवैध यूनिपोल लगाकर विज्ञापन करने के मामले में दीपक एडवरटाइजिंग जांच ओए घेरे के है। कंपनी मालिक ने नगर निगम को करोड़ों का चुना लगाकर शहरभर में अवैध होडिंग और यूनिपोल लगा लिए और नामी प्रोडक्ट्स के मालिकों से विज्ञापन लेना शुरू कर दिए। लेकिन वर्तमान में इंदौर नगर निगम सिर्फ इस बात पर ध्यान दे रहा है कि दीपक एडवरटाइजिंग के अवैध होडिंग लगे। इस बात पर भी निगम ध्यान दे कि इन अवैध होडिंग का हिसाब क्या निगम को मिल रहा है ?
आपको जानकार हैरानी होगी कि दीपक एडवरटाइजिंग के मालिक दीपक जेठवानी ने पीआरजे आउटडोर के नाम पर ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल, इंदौर जैसे कई शहरों में निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर निगम को ही चूना लगाया है। होडिंग माफिया दीपक जेठवानी के खिलाफ कुछ समय पहले ही ईओडबल्यू ने ग्वालियर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है, जिसमें ग्वालियर के निगम अधिकारी सहायक नोडल अधिकारी शशिकांत शुक्ला, सहायक लिपिक मदन पालिया, आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र शर्मा, अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त वित्त देवेन्द्र पालिया, अधीक्षण यंत्री जेपी पारा और उपायुक्त विज्ञापन सुनील सिंह चौहान है। इनके साथ मिलकर दीपक ने ग्वालियर निगम को करीब 54 लाख की हानि पहुंचाई। मामले में जांच चल रही है। इसी बीच इंदौर में भी होडिंग माफिया दीपक पर अवैध होडिंग की तलवार लटक गई। खास बात यह कि इंदौर में दीपक इसलिए चर्चा में आया क्योंकि निगम कमिश्नर दिलीप कुमार यादव को अवैध होडिंग की शिकायतें हुई जिसके बाद उन्होंने जांच के निर्देश दिए। जबकि इस कार्रवाई से भी दीपक बच निकल सकता है।
जानकर बताते है, होडिंग माफिया ने इंदौर नगर निगम से यूनिपोल लगाकर विज्ञापन करने के लिए सात साल का टेंडर ले रखा है। हर महीने अवैध होडिंग से दीपक को करीब दो करोड़ की कमाई होती है। यह पैसा दीपक निगम को न देते हुए उन भ्रष्ट अधिकारी और नेता को दे रहा है जो निगम से सांठ-गांठ कर उसे बचा रहे है। जैसा ग्वालियर में हुआ वैसा खेल इंदौर में भी चल रहा है।

