द पब्लिकेट, इंदौर। एयरपोर्ट रोड से लेकर बड़ा गणपति चौराहे पर सोमवार रात हुए भीषण सड़क हादसे पर पूरा शहर स्तब्ध है। नो एंट्री में घुसे ट्रक की वजह से करीब 15 लोग घायल हुए, तीन लोगों की मौत हुई। हादसे के बाद जब शासन प्रशासन सहित जनप्रतिनिधि घटना की जानकारी लेने और घायलों को देखने में लगे रहे तो वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव भी देर रात तक मामले की जानकारी लेते रहे। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री मोहन यादव एक्शन मोड में आए और ट्रैफिक डीसीपी अरविंद तिवारी को हटाया वहीं, सुरेश सिंह एसीपी, प्रेम सिंह प्रभारी  एएसआई (बिजासन प्रभारी), चन्द्रेश मरावी प्रभारी सूबेदार (सुपर कोरिडोर प्रभारी), दीपक यादव निरीक्षक (सुपर कोरिडोर से एरोड्रम प्रभारी) सहित ड्यूटी पर तैनात चार कांस्टेबल को निलंबित कर दिया। 

उधर, घटना को जबलपुर हाई कोर्ट में संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने इंदौर राज्य सरकार और इंदौर कमिश्नर को तलब किया है। कमिश्नर संतोष सिंह से नो एंट्री में भारी वाहन का प्रवेश कैसे घुसने का जवाब मांगा है। अगले हफ़्ते होने वाली सुनवाई में कमिश्नर संतोष के वर्चुअली हाजिर होकर जवाब देना होगा। 

कलेक्टर ऑफिस में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख प्रकट किया। हादसे में जान गंवाने वाले मृतक के परिजनों को चार-चार लाख की राशि दी गई। वहीं, घायलों को एक-एक लाख की आर्थिक सहायता और उसका इलाज का खर्च सरकार देगी। सीएम ने इस हादसे में लोगों की मदद करने वाले कांस्टेबल पंकज यादव और ऑटो चालक अनिल कोठारी को पुरस्कार दिया जाएगा। 

मृतकों में मेडिकैप्स कॉलेज के प्रोफेसर लक्ष्मीनारायण सोनी, आईडीए अधिकारी कैलाशचंद जोशी और महेश कैथवास है। ट्रक की चपेट में आने से कैलाशचंद का पूरा शरीर जल गया था। चपेट में आने के बाद करीब एक किलोमीटर तक वह ट्रक में फंसे रहे। बड़ा गणपति चौराहे पर ट्रक और बाइक में सड़क पर घिंसने से चिंगारी निकली और अचानक आग लग गई। कैलाशचंद उसी में फंसे रहे और उनकी दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, फिलहाल 12 घायलों का अरबिंदो अस्पताल, बांठिया अस्पताल और गीतांजलि अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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