देश के मिसाइल मेन के नाम से प्रसिद्ध डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन को ‘वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे’ के नाम से जाना जाता है।वह देश के 11वें राष्ट्रपति थे। 2002 से 2007 तक इस पद पर बने रहे।
डॉ कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। 15 अक्टूबर 2010 को संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष 15 अक्तूबर को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के रूप में मानने की घोषणा की।
डॉ कलाम के जन्मदिवस को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के रूप में क्यों मनाते है ?
संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन का सम्मान करने, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और उनके द्वारा दिए गए मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।
डॉ. कलाम का मानना था कि स्टूडेंट्स ही हैं जो दुनिया में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने साइंस और टोक्नोलॉजी, विशेषकर मिसाइल और अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन उनका असली जुनून सिर्फ स्टूडेंट्स को पढ़ाने और प्रेरित करने में था। वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे पर हर साल एक खास थीम होती है। साल 2024 में इस दिवस की थीम ‘छात्रों के भविष्य के लिए समग्र शिक्षा’ है। डॉ. कलाम ने अपना अधिकतर जीवन युवा छात्रों को प्रेरित करने और गाइड करने के लिए समर्पित कर दिया। इस दिन का मनाने का उद्देश्य यह भी समझना है कि स्टूडेंट्स भविष्य को बनाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस दिन स्कूल कॉलेजों में कलाम की टीचिंग से जुड़े कई स्पेशल लेक्चर, सेमिनार, वर्कशॉप आयोजित किए जाते हैं। कई संस्थाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्टूडेंट्स में टैलेंट, स्किल, आर्ट और साइंटिफिक सोच को निखारने के लिए प्रतियोगिताएं भी होती हैं। इस दिन स्टूडेंट्स उनके महान विचार भी सीखते हैं।
कहां हुआ था जन्म
डॉ कलाम का जन्म रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। डॉ. कलाम के स्कूल के समय में औसत ग्रेड थे, लेकिन वह हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते थे और मेहनती छात्र थे। डॉ. कलाम को कई पुरस्कार मिले, जिनमें 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और अनुसंधान, विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान के साथ उनके काम के लिए भारत रत्न शामिल हैं।