द पब्लिकेट,बांग्लादेश। बांग्लादेश के कठिन दौर में एक नया विकल्प: नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। देश में अभूतपूर्व छात्र आंदोलन से इस्तीफा देने वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद, सैन्य, विपक्ष और छात्र नेताओं ने ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में जाने जाने वाले 84 वर्षीय युनूस को देश का नया नेतृत्व सौंपने पर सहमति जताई है।

जन्म और शुरुआती जीवन:
1940 में बंगाल के बतुआ गांव में जन्मे मुहम्मद युनूस, एक व्यापारी परिवार के तीसरे बच्चे थे। उनके पिता हाजी दुलाई मिया सौदागर एक जवैलर थे। चिट्टागांग शहर में अपने कोर शैक्षिक वर्षों में, युनूस एक सक्रिय बॉय स्काउट भी थे और 1952 में पाकिस्तान और भारत की यात्रा करने का मौका भी मिला। बाद में, उन्होंने यूरोप, अमेरिका, कनाडा, फिलीपींस और जापान भी देखा। 1957 से 1961 तक, वह ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ते रहे, जहां उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। 1965 में, वह अमेरिका गए और वैंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू होने के दौरान, युनूस ने देश से बाहर रह रहे बांग्लादेशियों के लिए एक संचार केंद्र चलाया। उन्होंnes नैशविले में ‘बांग्लादेश न्यूज़लेटर’ भी प्रकाशित किया, ताकि आंदोलन के लिए समर्थन जुटाया जा सके। इस तरह, मुहम्मद युनूस, अब बांग्लादेश के संकट काल में एक नया विकल्प बनकर उभरे हैं। उनके नेतृत्व में, देश को नए सिरे से परिभाषित करने की उम्मीद है।

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