द पब्लिकेट, इंदौर। शहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक 16 वर्षीय छात्र, जो अभी दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है, ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) का फर्जी पेपर बनाकर बेचने का प्रयास किया। यह घटना बताती है कि आजकल के युवा किस तरह तकनीक का गलत इस्तेमाल करके पैसे कमाने के आसान रास्ते तलाश रहे हैं। राजस्थान के झुंझुनू का रहने वाला यह किशोर यूट्यूब से प्रेरणा लेकर इस गैरकानूनी धंधे में उतर गया। उसने ऑनलाइन वीडियो देखकर फर्जी परीक्षा पत्र बनाने की कला सीखी और फिर टेलीग्राम पर एक ग्रुप बनाकर अपने बनाए हुए पेपर बेचने लगा।

पुलिस ने बताया कि इस लड़के ने ‘MPPSC लीक्ड पेपर-2024’ नाम से एक टेलीग्राम ग्रुप बनाया था। वह इस ग्रुप पर फेम-पे (एक ई-वॉलेट) का बारकोड शेयर करता था, जिससे लोग उसे पैसे भेज सकें। पुलिस ने साइबर सेल की मदद से इस ग्रुप और ई-वॉलेट की जानकारी निकाली और फिर छात्र तक पहुंची। पकड़े जाने पर छात्र ने स्वीकार किया कि उसने चार परीक्षार्थियों से ढाई-ढाई हजार रुपये लिए थे। यह भी पता चला कि इससे पहले UGC NET के पेपर मामले में भी CBI और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इस छात्र से पूछताछ की थी।

यह घटना बताती है कि आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध कितना आसान हो गया है। यहां तक कि एक स्कूली छात्र भी इंटरनेट की मदद से इतना बड़ा धोखा दे सकता है। यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपने बच्चों को तकनीक के सही इस्तेमाल के बारे में शिक्षित करना होगा और उन्हें नैतिक मूल्यों का महत्व समझाना होगा। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि परीक्षा प्रणाली में और अधिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। साथ ही, युवाओं को रोजगार और आय के वैध साधन उपलब्ध कराने की जरूरत है, ताकि वे ऐसे गलत रास्तों पर न जाएं।

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