द पब्लिकैट, मथुरा। मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी, जिसमें हिंदू पक्ष द्वारा दायर मुकदमों की वैधता को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने यह फैसला सुनाया। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “अगर मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो हम तैयार हैं।” उन्होंने आगे कहा, “आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से दायर आर्डर 7 रूल 11 की अर्जी को खारिज कर दिया है और माना है कि ये सभी 18 मुकदमे पूजा स्थल अधिनियम से प्रतिबंधित नहीं हैं। अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।”

कई याचिकाओं में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि औरंगजेब के समय की यह मस्जिद एक कृष्ण मंदिर को तोड़कर बनाई गई थीl मस्जिद प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने तर्क दिया था कि ये मुकदमे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत प्रतिबंधित हैं। उनके अनुसार, मुकदमों में ही यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि विवादित मस्जिद 1669-70 में बनाई गई थी।

हिंदू पक्ष द्वारा दायर मुकदमों में एक समान प्रार्थना है कि मथुरा में कटरा केशव देव मंदिर के साथ साझा 13.37 एकड़ परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाया जाए। अतिरिक्त प्रार्थनाओं में शाही ईदगाह परिसर पर कब्जा मांगा गया है। अदालत 12 अगस्त को फिर से सुनवाई करेगी। यह मामला भारत के धार्मिक इतिहास और कानूनी व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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