पटना एम्स के छात्रों के खिलाफ गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सीबीआई की महत्वपूर्ण गिरफ्तारियाँ
द पब्लिकेट, रांची। नीट परीक्षा के पेपर लीक मामले में सीबीआई ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज (RIMS) की सेकेंड ईयर की छात्रा सुरभि कुमारी को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही, पटना एम्स के चार एमबीबीएस छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार छात्रों में करन जैन, कुमार सानू, राहुल आनंद और चंदन सिंह शामिल हैं।
गिरफ्तार किए गए चारों छात्र एमबीबीएस के स्टूडेंट हैं। चंदन सिंह सीवान (बिहार) का निवासी है, कुमार सानू पटना (बिहार) का, राहुल आनंद धनबाद (झारखंड) का, और करन जैन अररिया (बिहार) का निवासी है। आरोप है कि इन्हें पेपर लीक के आरोपी पंकज ने पेपर सॉल्व करने के लिए पैसे दिए थे। पंकज ने इन चारों को पेपर सॉल्व करने के लिए पैसे दिए थे और इनका नाम पेपर सॉल्वर गैंग में शामिल था।
सीबीआई ने इन छात्रों के कमरे सील कर दिए हैं और उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं। यह कार्रवाई नीट पेपर लीक की जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। सीबीआई की टीम द्वारा की गई यह गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक मामले की सुनवाई से पहले की गई है, जो इस मामले की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
इससे पहले, सीबीआई ने पंकज नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया था, जो पेपर लीक के नेटवर्क से जुड़ा था। इसके अलावा, झारखंड से राजू नाम के एक अन्य आरोपी को भी पकड़ा गया था, जो लीक किए गए पेपर को आगे पहुंचाने में शामिल था। ये गिरफ्तारियाँ इस मामले की तह तक जाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो चुकी है, जिसमें छात्रों ने परीक्षा दोबारा कराने की मांग की थी। उनका कहना था कि पेपर लीक की वजह से परीक्षा की निष्पक्षता प्रभावित हुई है। दूसरी ओर चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा है कि परीक्षा दोबारा कराने के लिए ठोस वजह जरूरी है और गड़बड़ी का फायदा उठाने वालों की पहचान होनी चाहिए।
अगली सुनवाई सोमवार, 22 जुलाई को होगी। सीबीआई अब अदालत में अपनी जांच के तथ्य प्रस्तुत करेगी, जिससे यह तय होगा कि क्या नीट परीक्षा दोबारा कराई जाएगी या नहीं। इस मामले में सीबीआई की कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है और क्या परीक्षा की निष्पक्षता को सुनिश्चित किया जा सकता है।