आश्रम में बच्चे जहां रहते थे वहां गंदगी पसरी थी
48 बच्चों का अस्पताल में किया जा रहा है इलाज
कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए
द पब्लिकेट,इंदौर। युग पुरुष धाम आश्रम में 6 बच्चों की मौत की जांच कर रही प्रशासन की टीम के सामने कई चौकाने वाले खुलासे हुए है। कुछ बच्चे जब डायरिया से पीड़ित हुए, तो अस्पताल में भर्ती कराने की बजाए आश्रम में ही करने लगे इलाज। 29 जून को एक बच्चे की मौत हुई, तो पोस्टमार्टम कराने के बजाए उसे दफना दिया।
मध्य प्रदेश में इंदौर के आश्रम में 6 बच्चों की मौत के मामले में जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। करोड़ों रुपये का अनुदान लेकर सेवा का दावा करने वाले युगपुरुष धाम आश्रम के संचालकों की लापरवाही से बच्चों की जान गई है। बच्चों की मौत के मामले में शुक्रवार को उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट सामने आई। इसमें पता चला कि संस्था में जबरदस्त लापरवाही बरती जा रही थी। बच्चों के रहने से लेकर भोजन भंडार क्षेत्र तक गंदगी पसरी थी और बीमारी पैदा करने वाले कई कारण दिखाई दिए।
27 जून को दो बच्चे डायरिया से पीड़ित मिले थे
27 जून को जब आश्रम में रहने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ था, तो उसमें दो बच्चों में डायरिया मिला था। इन बच्चों को अस्पताल भेजा जाना था, लेकिन प्रबंधन आश्रम में ही उपचार करता रहा। समय रहते ही प्रबंधन अलर्ट हो जाता तो 48 बच्चे जो अस्पताल में भर्ती हैं, उनकी जान पर नहीं बन आती। छह मासूमों की जान भी नहीं जाती।
जांच में सामने आई ये लापरवाही
27 जून को बच्चों की जांच के दौरान दो बच्चों मे डायरिया मिला।
अस्पताल में भर्ती कराने की बजाए आश्रम में ही करने लगे इलाज।
29 जून को एक बच्चे की मौत को छुपाया और पोस्मार्टम किए बगैर दफना दिया।
आश्रम में बच्चों के रहने के स्थान और किचन में भी गंदगी पसरी हुई थी।
ज्यादा बच्चे बीमार हुए तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी।
कलेक्टर ने दिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कलेक्टर ने प्रबंधन पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मान्यता निरस्त करने का शोकाज नोटिस भी दिया जा रहा है। युगपुरुष धाम आश्रम के घटनाक्रम की जांच के लिए अपर कलेक्टर गौरव बेनल के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम बुधवार को पहुंची।
टीम ने प्रबंधन के बयान लेने के साथ ही सभी दस्तावेज एकत्रित किए। टीम ने आश्रम परिसर का दौरा कर व्यवस्थाओं को देखा। इसमें किचन, पानी, बच्चों के रहने और सोने के साथ ही शौचालय का अवलोकन किया गया।
सुबह 10 बजे से लेकर रात 8 बजे तक जांच टीम आश्रम परिसर में ही मौजूद रही। जांच टीम में संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास संध्या व्यास, चाचा नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रीति मालपानी, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीलेखा जोशी शामिल रहे। बुधवार को भी नौ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। आश्रम के खाने की केमिकल रिपोर्ट निगेटिव आई है।
हैजा की जांच में दो बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई
आश्रम से चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती किए गए बच्चों की हैजा की जांच कराई गई थी। इसमें से दो बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हालांकि इसकी कल्चर रिपोर्ट आना अभी बाकी है। जांच के दौरान पाया गया कि पानी के पाइप में जंग लगा हुआ था। ऊपर रखी टंकी लंबे समय से साफ नहीं हुई थी।
आशंका जताई जा रही है कि दूषित पानी के कारण ही बच्चों की तबियत बिगड़ी होगी। हालांकि पानी की जांच रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। आश्रम परिसर में बच्चों के रहने और अन्य स्थानों पर गंदगी भी सामने आई। नीचे से लेकर छत तक गंदगी पसरी पड़ी थी।
प्रबंधन ने छुपाई सूचना
जांच दल ने आश्रम में दस्तावेज और रिकॉर्ड की जांच की तो सामने आया कि प्रबंधन लगातार सूचना छुपाता रहा है। 27 जून को बीमारी की जानकारी को साझा नहीं किया गया। वहीं 29 जून को अंकित नामक बच्चे की मौत को भी छुपाया गया।
इसकी पुष्टि दस्तावेज का मिलान होने पर सामने आई। बच्चे का पोस्टमार्टम किए बगैर गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस तरह की गंभीर लापरवाही भी सामने आई। बच्चों की बीमारी की सूचना भी प्रबंधन ने संबंधित विभाग और स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी।
युगपुरुष धाम आश्रम की जांच रिपोर्ट में बच्चों के रखरखाव में लापरवाही बरतना सामने आया है। इसके अलावा प्रबंधन द्वारा सूचना न देते हुए बीमारी को छुपाने की कोशिश की गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रबंधन पर एफआइआर और मान्यता निरस्त करने का शोकाज नोटिस दिया जा रहा हैं ।