नए कानून से बदलेगा पेपर लीक का माहौल

द पब्लिकेट। नीट परीक्षा के विभिन्न मामलों में पेपर लीक की घटनाओं ने छात्रों की चिंताओं को गहरा किया है। इसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने कुछ परीक्षाओं को रद्द कर दिया था, जबकि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की चर्चा की है। शिक्षा मंत्रालय ने NTA के खिलाफ सख्त कार्रवाई की घोषणा की है, जो छात्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

21 जून की रात से भारत में ‘पब्लिक एग्जामिनेशन प्रिवेंशन ऑफ़ अनफेयर मीन्स एक्ट, 2024’ यानी एंटी-पेपर लीक कानून लागू हो गया है। इस कानून में उच्च शैक्षिक परीक्षाओं में नकल और अन्य गलत प्रयासों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के प्रावधान हैं। सरकार ने इस कानून की घोषणा 21 जून को की है।

इस कानून से पहले सरकार और जांच एजेंसियों के पास इस तरह का कोई स्पष्ट कानून नहीं था। यह कानून इस साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा में पारित हुआ था, और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इसे मंजूरी देकर इस पर अपने साइन कर दिए थे।

यह कानून संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS), और नेशनल टेस्ट एजेंसी (NTA) के साथ-साथ केंद्रीय सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों की भर्ती परीक्षाओं को शामिल करता है।

फरवरी 2024 में पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं के बीच, यह कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसकी स्वीकृति और अधिसूचना जारी की गई, जिससे यह कानून अब प्रभावी हो गया है। देशभर के कई शहरों में हुए छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच, इस कानून का लागू होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कानून के लागू होने से जुड़े सवाल

केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून का नाम लोक परीक्षा अधिनियम 2024 है। इस विधेयक को संसद में पारित कर दिया गया था, लेकिन पेपर लिख के मामलों के बाद बहुत सारे विवाद उठे थे, जिसके कारण सवाल उठने लगे थे कि यह कानून लागू कब होगा। इन विवादों के बीच, केंद्र ने शुक्रवार शाम को इस कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

पेपर लीक कानून के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान हैं:

  • पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को कम से कम 3 साल की कैद और जुर्माने की सजा होगी। इसे अधिकतम 5 साल तक भी बढ़ाया जा सकता है।
  • आरोपी से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी वसूला जा सकता है।
  • यह कानून गैर-जमानती है, अर्थात आरोपी को जमानत पर नहीं छोड़ा जाएगा।

इतना ही नहीं यदि कोई सर्विस प्रोवाइडर इसे नहीं प्रकट करता है और उसे पता भी होता है, तो वह माफ़ नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, तकरीबन एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लग सकता है। अगर जांच यह साबित करती है कि कोई सर्विस प्रोवाइडर ने अपराध की अनुमति दी थी या उसमें शामिल था, तो उसे 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। दोषी को इस सर्विस प्रोवाइडर पर 1 करोड़ का जुर्माना भी लगा सकते हैं। इसके अलावा, अगर यह संगठित होता है, तो जेल की सजा 5 से 10 साल तक हो सकती है और उसे भी 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना देना हो सकता है।

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