- ईवीएम को लेकर चिल्ला-चोट जारी, पक्ष विपक्ष आमने सामने!
द पब्लिकेट से प्रकृति विश्वकर्मा, मुंबई। दरअसल, 16 जून को मिड्डे अखबार ने मुंबई पश्चिम लोकसभा सीट को लेकर एक खबर छापी। खबर में ईवीएम को अनलॉक करने वाले ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) का जिक्र था उस खबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दूसरे बड़े नेताओं ने खूब शेयर किया। मामला बढ़ता देख इसी दिन इस खबर को चुनाव आयोग ने गलत बताया वंदना सूर्यवंशी रिटर्निग ऑफिसर ने कहा कि इलेक्शन डिपार्टमेंट की तरफ से हमे यह कहना है कि ईवीएम लिए कोई अनलॉकिंग के लिए ओटीपी नहीं आता है। ईवीएम एक स्टैण्ड-अलोन डिवाइस है उसमें कोई वायर या वायरलेस कम्युनिकेशन का प्रोविज़न नहीं है। इसके बाद 17 जून 2024 को मिड्डे अखबार ने अपनी गलत न्यूज देने के लिए खेद जाहिर किया।
मुंबई की उत्तर पश्चिम सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के रविन्द्र वायकर 48 वोटों से चुनाव जीते है। उद्धव ठाकरे की पार्टी के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर चुनाव हार गए हैं।
जून में कांग्रेस संसद राहुल गांधी ने X पर tweet कर कहा कि “भारत में ईवीएम एक “BLACK BOX” है। किसी को भी जांच की मंजूरी नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताए जतायी जा रही है। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है। धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
राहुल गांधी ने यह ट्वीट Elon Musk के ट्वीट के बाद किया, ईवीएम पर ऐलान मस्क ने कहा कि “हमें ईवीएम को ख़त्म कर देना चाहिए। मनुष्यों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।”
क्या हैकिंग संभव है?
चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की पूरी तरह सुरक्षित होने की दावा किया है। हालांकि, इन मशीनों को हैक किया जाने की खतरात निरंतर उभरती रही हैं।
आठ साल पहले, मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक उपकरण को मशीन से जोड़कर दिखाया कि मोबाइल से संदेश भेजकर मशीन के नतीजों को बदला जा सकता है।
हालांकि, भारत की आधिकारिक संस्थाओं ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि मशीन से हस्तक्षेप करना तो दूर, ऐसा करने के लिए मशीन प्राप्त करना ही कठिन है।
वे सहमत हैं कि वोटिंग मशीनों को हैक करने के लिए बहुत धन की आवश्यकता है, और इसके लिए मशीन निर्माता और चुनाव करने वाली संस्था को शामिल करना जरूरी है। इसके लिए एक छोटे रिसिवर सर्किट और एंटीना को मशीन के साथ जोड़ने की आवश्यकता होगी, जो ‘इंसानी आंख से दिखाई नहीं देगा।’
माना जाता है कि वायरलैस हैकिंग के लिए एक मशीन में एक रेडियो रिसीवर होना आवश्यक है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और एंटीना होता है।
चुनाव आयोग कहता है कि भारतीय वोटिंग मशीनों में कोई ऐसा सर्किट तत्व नहीं है। कम शब्दों में कहने पर, हैकिंग इस स्तर पर करना लगभग असंभव होगा।