द पब्लिकेट। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि 12वी की राजनीति विज्ञान में 2002 के गुजरात दंगों और 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के विषय में स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन किया गया था क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना “हिंसक और निराशावादी नागरिकों को पैदा कर सकता है।” सकलानी ने पीटीआई से बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव, वार्षिक पुनर्विचार का हिस्सा है और इसे राजनीतिक ”हंगामा” का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।
नई संशोधित एनसीईआरटी कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का नाम न बल्कि इसे “थ्री डोमेड स्ट्रक्चर” के रूप में संबोधित किया गया है। और अयोध्या विषय का विवरण हटाकर, उसे चार से दो पृष्ठों तक संक्षेप कर दिया गया है।पुरानी किताब में बताया गया था कि 16वीं शताब्दी में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी। 1986 में फैजाबाद अदालत के मस्जिद खोलने के फैसले, 1992 में राम मंदिर के लिए रथ यात्रा और कारसेवा के कारण हुए सांप्रदायिक तनाव, और 1993 के दंगों की घटनाएं विस्तार से बताई गई थीं।नई किताब में लिखा है कि 1528 में राम जन्मस्थान पर तीन गुंबद वाला ढांचा बना, जिसमें कई हिंदू चिह्न और मूर्तियां थीं।
उन्होंने बदलावों के बारे में कहा, “हमें स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और निराशावादी। क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत के शिकार बन जाएं? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है?क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए?यदि वे इस विषय पर,पढ़ना चाहे तो वे दूसरी किताबों से इसके बारे में जान सकते हैं लेकिन स्कूली पाठ्यपुस्तकों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ।
संशोधित पाठ्यपुस्तक में यह भी कहा गया है: “अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया, जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर विमर्श की दिशा बदल दी। इन परिवर्तनों की आधार पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (जिसे 9 नवंबर, 2019 को घोषित किया गया) के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।”
पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों का जवाब देते हुए सकलानी ने कहा, “अगर कुछ अप्रासंगिक हो गया है, तो उसे बदला जाना चाहिए… हम तथ्यों के आधार पर इतिहास पढ़ाते हैं।भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रगति के बारे में बात करना भगवाकरण नहीं है।