द पब्लिकेट से अनुश्री करंकार, नई दिल्ली। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट -यूजी) के परिणाम की धांधली पर आज छात्रों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्याय मिला हैं ।केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 नीट-यूजी 2024 उम्मीदवारों के पास 23 जून को फिर परीक्षा देने का विकल्प होगा जिसके परिणाम 30 जून के पहले घोषित होंगे।सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह काउंसलिंग प्रक्रिया को नहीं रोकेगा, इस बात पर जोर देते हुए कि अगर परीक्षा आगे बढ़ती है, तो सब कुछ योजना के अनुसार चलना चाहिए। पुनः परीक्षा का प्रावधान केवल उन बच्चो के लिए होगा जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले हैं।
दरअसल मामला ये है कि, प्रश्नपत्र लीक होने जैसे आरोपों और 1,500 से अधिक परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और सात उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय में मामले दायर किए गए। जहां हर साल केवल कुछ ही बच्चे पूरे अंक लाते थे, वहीं 2024 परीक्षा में 67 छात्रों की AIR 1 आयी हैं। इनमें से छह छात्रों ने हरियाणा के फरीदाबाद के एक ही केंद्र पर परीक्षा दी थी जिससे ये शक का विषय बन गया था। दिल्ली में 10 जून को इसी मामले की जांच की गुहार लगाने के लिए छात्रों ने धरना प्रदर्शन भी किया था।
क्यों दिए गए थे ग्रेस मार्क्स ?
ग्रेस मार्क्स देने के विषय पर एनटीऐ ने कहा था की हरियाणा के परीक्षा केंद्र पर समय की बरबादी हुई थी, जिसके चलते उन बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। वहीं दूसरे बच्चों का ये कहना है कि यदि हमने समय पर परीक्षा दी तो इसमें हमारा क्या दोष?
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कनु अग्रवाल ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि यह निर्णय 12 जून को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित पैनल द्वारा “छात्रों के डर को दूर करने” के लिए लिया गया था। अग्रवाल ने कहा कि पैनल का मानना है कि समय की बरबादी के कारण 1563 छात्रों को ग्रेस अंक दिए जाने थे। और कंपेंसेटरी अंक केवल उन सवालों तक सीमित थे जिन्हें हल नहीं किया गया था। सारी जांच करने के पश्चात, समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि 1563 छात्रों के स्कोरकार्ड रद्द करने की सिफारिश करना उचित होगा।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, पीठ ने निम्नलिखित आदेश दिया:
” नीट-यूजी 2024 के लिए उपस्थित होने वाले याचिकाकर्ता ने सामान्यीकरण या नॉर्मलाइजेशन फार्मूले का उपयोग करके 1563 उम्मीदवारों को कंपेंसेट्री अंक प्रदान पर शिकायत दर्ज की है, जहां परीक्षा केंद्रों पर, जिन छात्रों को 3 घंटे 20 मिनट का समय नहीं दिया गया था, उन्हें कम समय के लिए परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी। दिशा पांचाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में इस न्यायालय के एक फैसले पर भरोसा करते हुए शिकायत निवारण समिति के अनुरोध पर ये अंक प्रदान किए गए हैं।
इन अंको के लिए चुनौती दिए जाने पर। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए)ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने के लिए एक और समिति का निर्माण किया और ग्रेस अंक दिए जाने पर अपनी सिफ़ारिश दी। इसके बाद समिति ने 10, 11 और 12 जून 2024 को बैठकें कीं और सिफ़ारिशें कीं जिसमें –
पहली याचिका:
फिजिक्स वाला के सीईओ अलख पांडे ने दर्ज करवाई थी , जिन्होंने दावा किया था कि एनटीए का ग्रेस मार्क्स देने का फैसला “मनमाना” था। पांडे ने लगभग 20,000 छात्रों से प्रतिनिधित्व एकत्र किया, जिससे aसामने आया की 1,500 छात्रों को लगभग 70- 80 ग्रेस मार्क्स बेवजह दिए गए थे।
दूसरी याचिका :
एसआईओ के सदस्य अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन ने दायर की थी , जिसमें पेपर लीक और अन्य गड़बड़ियों के चलते नीट-यूजी 2024 के नतीजों को वापस लेने और नए परीक्षा को पुनः आयोजित करने की मांग की गई थी। इस याचिका पर आज नोटिस जारी किया गया।
तीसरी याचिका:
एनईईटी उम्मीदवार कार्तिक ने दायर की थी। उन्होंने परीक्षा के दौरान समय की हानि के कारण मिलने वाले ग्रेस मार्क्स को चुनौती दी। उनका तर्क था कि ग्रेस अंक देने के लिए “सामान्यीकरण या नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले” को केवल उतने ही प्रश्नों तक माना जाना चाहिए था,जितने प्रश्न समय की हानि के कारण हल नहीं हो पाए। क्योंकि सभी प्रश्नों के अंक समान होते हैं और इसलिए हर सवाल को हल करने के लिए समान समय माना जा सकता है।
इन तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया है।