द पब्लिकेट से अनुश्री करंकार, इंदौर। 9 जून को शपथ ग्रहण समारोह के उपरांत, कैबिनेट और मंत्रिमंडल का गठन हुआ।जिसमें मध्य प्रदेश के लाड़ली बहनों के भैय्या, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पहली बार कैबिनेट में मंत्री पद मिला हैं। जिसमें उन्हें कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी हैं। पिछले बार नरेंद्र सिंह तोमर कृषि मंत्री की भूमिका में थे पर इस बार ये मौका प्रधान मंत्री ने शिवराज सिंह चौहान को दिया हैं।बता दे कि,शिवराज सिंह चौहान तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। और उनके कृषि मंत्री चुने जाने के कारण, उनका मध्य प्रदेश में कृषि उद्योग को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में मध्य प्रदेश को एक कृषि महाशक्ति में बदलने के लिए “एग्रीकल्चर पावर हाउस” से पहचाना जाता है।

  • गेहूं उत्पादन: उत्तर प्रदेश के बाद ,मध्य प्रदेश भारत में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही सोयाबीन, चना, टमाटर, धनिया, अदरक, मेथी और प्याज का प्रमुख उत्पादक बनकर उभरा है।
  • पिछले कुछ दशकों में, मध्य प्रदेश की कृषि वृद्धि दर 6.5% रही है, जो राष्ट्रीय औसत 3.7% से काफी अधिक है। 2004-05 से 2021-22 के बीच सिंचाई कवरेज को दोगुना करके 80% से अधिक कर दिया गया। परिणामस्वरूप, मध्य प्रदेश की फसल तीव्रता आज 1.9 है, जो पंजाब के लगभग बराबर है और राष्ट्रीय औसत 1.55 से काफी ऊपर है।
  • नहर निवेश: सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए नहरों के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश किया गया।
  • उपमंडी, समाज और गोदाम: इन्हें गांवों के करीब बनाया गया, जिससे किसानों की उत्पाद को संग्रहीत और बेचने के लिए यात्रा की दूरी कम हो गई।

 

मंत्री बनने के बाद, उन्होंने इंटरव्यू में कहा:

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और किसान को सबको खिलाता है, अन्नदाता है।उनका कल्याण सरकार की प्राथमिकता हैं। इसीलिए पीएम मोदी ने सबसे पहले “किसान सम्मान निधि” जारी करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए। और बीजेपी के संकल्प पत्र में किसान कल्याण और ग्रामीण विकास पर बढ़ावा देने का जोर दिया हैं। साथ ही उन्होंने कहा की कैबिनेट ने और 3 करोड़ घर बनाने का फैसला लिया है। और इसके लिए वे निरंतर प्रयास करेंगे।

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