द पब्लिकेट से अनुश्री करंकार। 2 महीने से चल रहें लोकसभा चुनाव सात चरणों में 29 राज्यों में आयोजित किए गए थे और प्रत्येक चरण के लिए मतदान प्रतिशत अलग-अलग था। कुल 96.9 करोड़ पंजीकृत थे और 543 सीटों के लिए चुनाव हुआ था। देश के नागरिक और जागरूक मतदाता होने के नाते आपका ये जानना भी आवश्यक है की मतों की गणना ईवीएम से कैसे होती है।
मतदान समाप्त होने पर, ईवीएम को सील करके मतगणना के दिन, ईवीएम को निकाला जाता है और सभी भाग लेने वाले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अनसील किया जाता है। बैलेट की गिनती 30 मिनट बाद शुरू होती है।वोटों की गिनती 4 जून को सुबह 8 बजे से शुरू होगी। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें और वीवीपीएटी (VVPAT) मशीनों का उपयोग किया गया है। इसमें ईवीएम के दो भाग होते हैं:
कंट्रोल यूनिट और बैलटिंग यूनिट
कंट्रोल यूनिट: यह मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारी द्वारा संचालित की जाती है। इसमें एक बटन होता है, जो ईवीएम की दूसरी इकाई पर एक हरी लाइट को जलाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि ईवीएम मतदान के लिए तैयार है। जब एक वोट डाला जा रहा होता है, तब इसमें “busy”लाइट जलती है। एक क्लोज बटन से वोट डाले जाने की अनुमति नहीं होती है और एक क्लियर बटन से सभी डेटा हटा दिया जाता है। एक खंड में डाले गए कुल वोटों की संख्या प्रदर्शित होती है।
बैलटिंग यूनिट : इसे मतदान केंद्र पर मतदान कक्ष में रखा जाता है। इस इकाई में उम्मीदवारों के नाम और प्रतीक डाले जाते हैं, जिनके पास में एक नीला बटन होता है। इस इकाई में दृष्टिबाधित लोगो के लिए लिपि का प्रावधान भी प्रदान करवाया जाता है। मतदाता के मतदान करने पर एक बीप की आवाज़ आती है।
मतगणना की निगरानी कौन करता है?
भारत निर्वाचन आयोग प्रत्येक संसदीय क्षेत्र के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करता है, जो होने वाली मतगणना के लिए जिम्मेदार होता है।
एक रिटायरिंग ऑफिसर को सहायक (AROs)द्वारा सहायता प्रदान की जाती है, जो संबंधित संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में मतगणना के लिए जिम्मेदार होते हैं और प्रत्येक क्षेत्र को विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।मतों की गिनती की निगरानी के लिए 116 पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया हैं।