द पब्लिकेट। नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता कहा जाता है। ये देवी दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं, और इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
● स्कंदमाता की कथा:
पुराणों के अनुसार, तारकासुर नाम के एक राक्षस ने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि उसे केवल भगवान शिव का पुत्र ही मार सकता है। उस समय भगवान शिव तपस्या में लीन थे और विवाह से दूर थे। देवताओं की प्रार्थना पर देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया और उनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ। स्कंद ने ही तारकासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई। इसी कारण से स्कंदमाता को विशेष रूप से पूजनीय माना गया है।
● स्कंदमाता का स्वरूप:
स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनमें से एक हाथ में भगवान स्कंद को गोद में लिए हुए हैं, दूसरे हाथ में कमल धारण करती हैं। इनका वाहन सिंह है।
● स्कंदमाता की पूजन विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर की सफाई: पूजा स्थल की सफाई करें और वहां देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- ध्यान और आवाहन: स्कंदमाता का ध्यान करें और उनका आवाहन करें।
- पंचामृत स्नान: देवी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं।
- फूल और माला: देवी को पीले रंग के फूल अर्पित कर सकते हैं।
- धूप और दीप: धूप और दीप जलाएं।
- मंत्र उच्चारण: स्कंदमाता के मंत्र का जाप करें।
मंत्र:
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः। - नैवेद्य: देवी को फल, मिठाई और खासकर केले का भोग लगाएं।
- आरती: स्कंदमाता की आरती गाएं।
- प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद वितरित करें।
नोट:स्कंद माता कि पूजा आप सफेद वस्त्र पहनकर कर सकते हैं। ● स्कंदमाता की पूजा का महत्व:
स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति हो
जाती है। देवी की कृपा से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं, और उनके जीवन में खुशहाली आती है।
स्कंदमाता से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं, जो जीवन में अनुकरणीय हैं:
● मातृत्व का महत्व : स्कंदमाता अपने पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की मां हैं। उनकी पूजा मातृत्व के आदर्श रूप की ओर इशारा करती है, जो करुणा, त्याग और निस्वार्थ प्रेम से भरा होता है।
● धैर्य और सहनशीलता : स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन में धैर्य और सहनशीलता के गुणों का होना बहुत जरूरी है। कठिन परिस्थितियों का सामना बिना घबराए और साहस के साथ करना चाहिए।
● कर्तव्य पालन : माता स्कंदमाता के रूप में, वह अपने पुत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करती हैं। यह हमें यह शिक्षा देता है कि जीवन में हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और समर्पण से करना चाहिए।
● सादगी और विनम्रता : स्कंदमाता का जीवन सादगी और विनम्रता से परिपूर्ण है। यह हमें दिखाता है कि हमें अपनी जीवनशैली में सरलता और नम्रता बनाए रखनी चाहिए।
● आध्यात्मिकता और भक्ति : स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है। उनकी भक्ति हमें ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण का महत्व बताती है।
इन शिक्षाओं से हम अपने जीवन को बेहतर और अधिक सकारात्मक बना सकते हैं, साथ ही दूसरों के प्रति संवेदनशीलता और दयालुता का प्रदर्शन कर सकते हैं।