द पब्लिकेट से वेदिका सावल l राजस्थान के विवादास्पद आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। इस फैसले में तत्कालीन चूरू एसपी भी शामिल हैं। घटना के सात साल बाद यह मोड़ तब आया जब आनंदपाल की पत्नी राजकंवर के वकील ने कड़ी मेहनत से घटनास्थल का नक्शा प्राप्त किया। इस नक्शे और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर, उन्होंने कोर्ट में कई ऐसे तथ्य पेश किए जो एनकाउंटर की कहानी पर सवाल खड़े करते हैं।

राजकंवर की ओर से पेश की गई पांच प्रमुख दलीलें थीं:

  1. सीओ विद्या प्रकाश की पिस्टल का खोखा छत पर कैसे पहुंचा, जबकि वे वहां मौजूद नहीं थे?
  2. पुलिसकर्मियों की गोलियों के खोखे छत पर कैसे मिले, जबकि किसी के वहां जाने का जिक्र नहीं था?
  3. कॉन्स्टेबल सोहन सिंह के बयानों में विरोधाभास।
  4. आनंदपाल के शरीर पर पाए गए गोलियों के निशान नजदीक से फायरिंग का संकेत देते हैं।
  5. रूपेन्द्रपाल का बयान कि आनंदपाल ने सरेंडर कर दिया था।

इन तथ्यों के आधार पर, कोर्ट ने माना कि यह एनकाउंटर नहीं, बल्कि हत्या थी। कोर्ट ने कहा कि भले ही आनंदपाल एक वांछित अपराधी था, लेकिन उसे पकड़ने के बाद मार डालना न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। यह फैसला न केवल इस विशेष मामले के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पुलिस एनकाउंटर के मुद्दे पर व्यापक बहस को भी जन्म दे सकता है।

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