शिव के पुजारी…शिव उपासक…जितने भी हों जहां भी हों एक परिवार हैं। शिव परिवार… जब परिवार में कुछ अनिष्ट होता है तोमंगल आयोजन नहीं होता। लेकिन कुबेरेश्वर धाम में सब कुछ चलता रहा। महाराष्ट्र से आइ 52 साल महिला की मौत या फिर 3 सालके बच्चे की मौत के बाद भी पंडित मिश्रा के दरबार में कार्यक्रम चलता रहा। सेकड़ो की संख्या में आए भगतों को जाम का सामना करनापड़ा, धाम में न खाने की ओर ना ही पीने की व्यवस्था थी जिसके कारण घंटो तक लोग कतार में रुद्राक्ष लेने की आस भूखे पेट खड़े रहेजिसमें कई लोग बेहोश भी हुए, सेकड़ो की संख्या में लोग घायल भी हुए। दरबार में लोगों की आपबीती सुनने के बाद भी किसी प्रकारकी सांत्वना नहीं दी गई। उल्टा दरबार में आग लगे बस्ती में… हम अपनी मस्ती में जेसे नारों से क्या ज़ाहिर होता है ?
कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव में जाने वाली एक माँ के बेटे ने बताई आपबीती
माँ अपनी सहेलियों के साथ एक दन पहले रुद्राक्ष महोत्सव में रुद्राक्ष लेने के लिए निकल गई थी। जाने के दौरान मैंने माँ के पर्स में अपनानम्बर चिट्ठी में लिख कर दे दिया था, ताकी कोई समस्या हो तो वह कॉल कर ले। कुछ देर बाद हमने जब न्यूज़ पर देखा की रुद्राक्षमहोत्सव में कई लोग घायल हुए है, लापता हुए है तो हमने तुरंत माँ को कॉल किया लेकिन उनका कॉल नहीं लगा। हम दिन भर परेशानहुए। सम्पर्क करने का बहुत प्रयास किया लेकिन हो नहीं पाया। लेकिन रात में माँ का किसी नम्बर से कॉल आया ओर उन्होंने बताया कीवह अपने ग्रूप से बिछड़ गई है। काफी परेशान हो गई है। उन्होंने नज़दीकी की एक दुकान से मुझे कॉल कर पूरी घटना बताई, जिसकेबाद में तुरंत इंदौर से निकला, लेकिन जाम के कारण हमको देवास से पहले ही रोक दिया गया। मैंने जैसे तैसे पुलिस प्रशासन को मेरापरिचय दिया जिसके बाद 1 बजे तक हम आशटा से होते हुए माँ को लेने पहुँचे ओर घर लेकर आए।
बेटे ने बताया की वह एक परिषद से जुड़े है तो उन्होंने घर पहुँचने के बाद परिषद के वरिष्ट पदअधिकारी को घटना बताई लेकिन उन्होंने नेभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया ओर ना ही बाद में कॉल कर जवाब दिया।
इसका मतलब यह भी हुआ की अगर किसी व्यक्ति की बातचीत ऊपर तक ना होती तो वह अपने परिजनो को लेने के लिए परेशान होतारहता। तो जो भगत दूसरे प्रदेश से आए थे उनको कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा होगा। ना खाने ओर ना ही पीने का इंतेजाम।लाखों लोगों में ना जाने कितने लोगों को समस्या का सामना करना पड़ा होगा लेकिन इसका सबूत किसी के पास नहीं है।
हाथ में नहीं, फेक–फेक के दे रहे थे रुद्राक्ष
धाम परिसर में रुद्राक्ष लेने गए एक व्यक्ति ने बताया की एक दिन पहले से लाखों की संख्या में लोग का जमावड़ा लगना शुरू हो गयाथा, दिन में तो यह हालत हो गए थे की हम खड़े भी नहीं रह पा रहे थे क्योंकि पीछे से धक्का मुक्की हो रही थी। उसी बीच रुद्राक्ष वितरणचल रहा था जिसमें काउंटर पर बेठे सेवक रुद्राक्ष को फेक–फेक कर दे रहे थे जिसको लेने के लिए लोग इधर उधर दौड़ भाग कर रहे थे।
गुरुवार के दिन महाराष्ट्र से आइ 52 साल की महिला की मौत हो गई। शुक्रवार के दिन एक 3 साल के बच्चे की मौत हो गई। क्या बीतीहोगी उसके माता – पिता पर जो उसे लेकर इस उमिद में आए थे की उनका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा। इतना होने के बाद भी प्रशासन ओरराजनीती के वरिष्ट लोगों ने चुप्पी साध रखी है।