द पब्लिकेट से अनुश्री करंकार, इंदौर। शहर में हाल ही में तीन आत्महत्याओं की घटनाएं सामने आई है, जो पूरी तरह झंकझोर देने वाली है। इन घटनाओं ने हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन की गंभीरता को उजागर किया है। अकेलेपन का शिकार हर वर्ग है जो किसी न किसी रूप में उसे दूर करने के तरीक़े खोजने में लगा है। किंतु अगर वहीं तरीका आपको अकेला कर दे, तो समस्या काफ़ी गंभीर रूप ले लेती हैं।ये कुछ घटनाएं इसका उदहारण है:
- 13 वर्षीय अंजलि यामयार ने अपोलो डीबी सिटी की 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। यह खुलासा हुआ कि वह ‘रो ब्लोक्स’ गेम खेलती थीं और इसके लिए घंटो अकेले कमरे में बैठी रहती थीं। इस गेम में उसने कुछ दोस्त भी बनाये और वो उन्हें बिल्डिंग की ऊंचाई से फोटोज सैंड करती थी।उसके बड़े भाई ने बताया कि वो ज्यादा बोलती नहीं थी।उस गेम में उसे अलग अलग टास्क मिलते थे।ऊंचाई से कूदना भी एक टास्क था, जिसे वो सच मानकर हकीकत में कूद गई। बता दें कि,2019 में भी ब्लू व्हेल नाम के गेम में भी टास्क दिए जाते थे, जिसे लोग पूरा करने के चक्कर में अपने आपको मौत के मुंह धकेल देते थे।जिसके बाद उसे भारत में बैन कर दिया गया था।
- 37 वर्षीय सुरभि जैन ने बीसीएम हाइट्स की 8वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। वो टीसीएस कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर थी। सूत्रों के अनुसार,शादी के एक साल के भीतर ही उसका तलाक हो गया था और 2022 में उसकी मां की मृत्यु के बाद वो पूरी तरह से टूट गई थी। वो डिप्रेशन का शिकार थी, और उनके पिता ने बताया कि उसका इलाज भी चल रहा था। रविवार को हुई बातचीत के दौरान वो पिता से नाराज़ हो गई और उसने अपने सारे गहने अपने पिता को दे दिए और कूदने से पहले उन्हें ‘सॉरी पापा’ का मैसेज किया।
- 22 वर्षीय मुस्कान अग्रवाल,जो बीबीए की छात्रा थीं, ने पिनेकल ड्रीम्स टाउनशिप की 16वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। वह पिछले 18 महीनों से किसी बीमारी से जूझ रही थीं। और एक बड़ी समस्या सामने आई है की,वो हर चीज़ गूगल करती थी। उसकी सर्च हिस्ट्री में भी इंदौर की सबसे ऊंची बिल्डिंग सर्च किया गया और वो, बीमारी और ये आदतों से इतना परेशान हो गई की अंदर ही अंदर आत्महत्या करने की इच्छा उसमें पनपती गई।
इन तीनों घटनाओं में मृतक किसी न किसी मानसिक उलझन का शिकार है, जो उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती है।आत्महत्या एक गंभीर समस्या है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं के कारण हो सकती है। इन कारणों को समझने और रोकथाम के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। यदि आप किसी के भी प्रति महसूस करते है की वे शायद किसी मानसिक तकलीफ से परेशान है तो उनसे बात करें, उन पर निगरानी रखें।मानवीय प्रवृत्ति के अनुसार हम समस्या केकुछ ही देर बाद उसका हल ढूंढ लेते हैं, पर कुछ लोग ऐसा करने में असफल होते है। वो अपने आप को उन समस्याओं से बाहर नहीं निकाल पाते जिससे वे मानसिक रूप से उसमें गहरे धंसते चले जाते है।
इन तीनों घटनाओं में कुछ सामान्य कारक देखे जा सकते हैं:
मानसिक,शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक,पारिवारिक समस्याएँ:
मुस्कान अग्रवाल की बीमारी और सुरभि जैन का मां की मृत्यु से होने वाले अवसाद दिखाते हैं कि गंभीर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ आत्महत्या के प्रमुख कारण हो सकते हैं।सुरभि जैन के तलाक और मां की मृत्यु से उत्पन्न अवसाद ने उसे आत्महत्या की ओर धकेल दिया।
अकेलापन और सोशल मीडिया/ऑनलाइन गेम्स:
अंजलि यामयार का ऑनलाइन गेम ‘रो ब्लोक्स’ खेलते हुए आत्महत्या करना यह दर्शाता है कि आजकल के किशोर अकेलापन और सोशल मीडिया/ ऑनलाइन गेम्स से मानसिक रूप से भी प्रभावित हो सकते हैं।
आप कैसे रोक सकते है ?
•परिवार और दोस्तों को ऐसे लोगों का सहारा बनना चाहिए जो किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक समस्या से जूझ रहे हों। समय-समय पर उनकी स्थिति का जायजा लेना और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए।
•बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करना और उन्हें सुरक्षित एवं स्वस्थ इंटरनेट उपयोग के बारे में सिखाना जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के ऑनलाइन दोस्तों और उनकी गतिविधियों पर ध्यान दें।समय – समय पर उनकी सर्च और वॉच हिस्ट्री चेक करें।उनसे बात करे। उन पर स्वस्थ रूप से निगरानी रखें जिससे उन्हें उनकी प्राइवेसी भी वायलेट न हो।गलत रूप से निगरानी रखना, बेवजह रोक लगाने से वे आपसे बातें छुपाएंगे।
•समुदाय के लोग, शिक्षण संस्थान और सरकारी संस्थाएँ मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजित करें और लोगों को समर्थन प्रदान करें।”अपना और अपनों का ख्याल रखें”।