- मंदसौर की गैंग इंदौर में फ्लैट लेकर कर रही थी करोड़ो का अवैध काम
- फर्जी सिम और एकाउंट के माध्यम से कर रहे थे गैंबलिंग का फ्रॉड
- आरोपियों के मोबाइल में मिले दुबई मनी एक्सचेंज
द पब्लिकेट, इंदौर। रॉक एक्सचेंज नाम की ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट के माध्यम से लोगों को गैंबलिंग की लत लगाने वाले आठ आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने मानवता नगर इलाके से गिरफ्तार किया है। आरोपी मूलतः मंदसौर के रहने वाले है। इनके मोबाइल में दुबई मनी एक्सचेंज करने वाले लोगों के भी नंबर मिले है। क्राइम ब्रांच आरोपियों से आगे की पुलिस पूछताछ कर रही है।
क्राइम ब्रांच के एडीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया गैंबलिंग संचालित करने वाले आरोपी परिक्षीत लोहार पिता रमेशचंद लोहार (26) निवासी मंदसौर, रोशन लालवानी पिता विनोद लालवानी (20) निवासी जिला मंदसौर, विजय विश्वकर्मा पिता राजेन्द्र विश्वकर्मा (22) निवासी मंदसौर, अभिषेक यादव पिता चैनराम यादव (26) निवासी मंदसौर, रुचित पिता राजन सिंह (25) बिहार, राजेश कोतक पिता नरेश कोतक (19) निवासी मंदसौर, प्रफुल्ल पिता चन्द्रशेखर सोनी (29) निवासी मंदसौर, महेन्द्र सिंह पिता भंवर सिंह (28) निवासी मंदसौर को मानवता नगर इलाके के मकान मंबर 170 ए से गिरफ्तार किया है। इनके पास से 29 मोबाइल 13 चेक बुक और पास बुक, 6 लैपटॉप, नगदी और करोड़ो का हिसाब किताब मिला है।

पूछताछ में आरोपियों ने बताया वह रॉक एक्सचेंज की अलग अलग जगह ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट्स (साईटो क्रमशः रॉक7.आर्ट, अग.रॉकिंप्ले. कॉम, एडमिन.रॉकबुक9.कॉम, अग.रॉकेक्च111.कॉम, रॉकेक्च9.कॉम) पर के सट्टा लगवाते थे। आरोपी फर्जी एकाउंट्स में रुपए डलवाकर लोगों को ऑनलाइन गेम की आईडी और पासवर्ड बनाकर देते थे।
दुबई से जुड़े है आरोपियों के तार
आरोपियों के पास से अलग-अलग प्रदेशों के फर्जी बैंक अकाउंट्स नंबर मिले है। वह पैसे का अमाउंट ज्यादा होने पर फर्जी बैंक अकाउंट की मदद से मलिक को पैसा भेजते थे। उनके मोबाइल से दुबई मनी एक्सचेंज करने वालों के नंबर भी मिले है।
टेलीग्राम के माध्यम से सट्टे के गिरोह जुड़ा था मुख्य आरोपी
धोखाधड़ी की गैंग का मुख्य सरगना परिक्षीत है। वह टेलीग्राम पर सट्टा लगाने वाली गैंग से जुड़ा था। वह कम उम्र के युवाओं को पैसे कमाने का लालच देकर अकाउंट में रुपए डलवा लेता, फिर आई पासवर्ड देकर गेम खिलवाता था।
ऐसी कर रखी थी कोडिंग की जितने का प्रतिशत होता था कम
आरोपियों ने ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट में ऐसी कॉडिंग और अल्गोरिथम का उपयोग किया था कि पैसे लगाने वाले व्यक्ति का जीत का प्रतिशत बहुत कम होता था। इसमें शुरू में कुछ जीत से प्रॉफिट होता था लेकिन बाद में लॉस ही होता था।