जोशीमठ में फंसे श्रद्धालु, होटलों ने किराये में की वृद्धि
द पब्लिकेट, उत्तराखंड। उत्तराखंड में लगातार पांच दिनों से हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। बार-बार होने वाले भूस्खलन की वजह से राज्य में 200 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं, और बद्रीनाथ रूट भी इससे अछूता नहीं रहा। चार धाम यात्रा भी पिछले तीन दिनों से बंद पड़ी है, जिससे हजारों श्रद्धालु फंसे हुए हैं।बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर भी भूस्खलन के कारण श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एनडीआरएफ और एनटीपीसी की टीमें लगातार मलबा हटाने और रास्ते खोलने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन भारी बारिश के चलते बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है। इस बीच, जोशीमठ के आसपास श्रद्धालुओं ने सड़कों पर ही डेरा डाल रखा है।
बद्रीनाथ से आने जाने वाले ज्यादातर श्रद्धालु जोशीमठ में फंसे हुए हैं। इसके चलते पूरा इलाका हाउसफुल है। यहां के होटलों ने भी किराया बढ़ा दिया है। रेस्टोरेंट वालों ने भी खाने का दाम बढ़ा दिया है। होटल का किराया, जहां पहले एक कमरा 1000 से 2000 रुपये का था, अब 4000 से 5000 रुपये तक हो गया है। इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से भी की गई है।
जोशीमठ के लोगों ने एसडीएम चंद्रशेखर वरिष्ठ से भी अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं। एसडीएम का कहना है कि हमने होटल एसोसिएशन से बात की है और लगातार अनाउंसमेंट भी कर रहे हैं, ताकि कोई ज्यादा किराया ना ले।
सड़क पर बितानी पड़ी रात
समस्तीपुर, बिहार से आए कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि होटल के महंगे किराए के कारण उन्हें दो रातों से सड़क पर ही गुजारनी पड़ी। यूपी के श्रीकांत पांडे ने बताया कि पहाड़ टूटने की वजह से होटल तक पहुंचने की हिम्मत नहीं बची है, और सड़क पर ही बैठना पड़ा है। बद्रीनाथ के पास लंबी कतार में गाड़ियां खड़ी हैं, और श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
एनडीआरएफ और प्रशासन की टीम ने फंसे हुए लोगों के लिए खाने का भी इंतजाम किया है। जोशीमठ के व्यापार मंडल ने सड़क पर भंडारा कराया और यात्रियों को खिचड़ी बांटी। मंडल अध्यक्ष महेंद्र सिंह भंडारी के मुताबिक एनडीआरएफ और प्रशासन ने भी भोजन और पानी के पैकेट बांटे हैं।
गुरुवार सुबह जब बद्रीनाथ हाईवे को खोला जा रहा था, तभी पहाड़ का हिस्सा गिरने लगा, लेकिन बचावकर्मी अपनी जान बचाने में सफल रहे।
बद्रीनाथ में एक दिन पहले हुए उपचुनाव की वोटिंग के बाद 36 पोलिंग पार्टियों को मलबे के बीच से निकाला गया। उत्तराखंड की यह स्थिति श्रद्धालुओं के लिए काफी कष्टनाक है, लेकिन प्रशासन और बचाव दलों की तत्परता और मेहनत के चलते हालात को जल्द ही सामान्य करने की कोशिश की जा रही है।